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Jio से बदला टेलीकॉम मार्केट का समीकरण, डेटा बिजनेस के टायकून बनने की तैयारी में मुकेश अंबानी

अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम की शुरुआत शून्य से हुई थी और अब उसके पास 20 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं का बड़ा बेस है

By NiteshEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 12:14 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 06:03 PM (IST)
Jio से बदला टेलीकॉम मार्केट का समीकरण, डेटा बिजनेस के टायकून बनने की तैयारी में मुकेश अंबानी
Jio से बदला टेलीकॉम मार्केट का समीकरण, डेटा बिजनेस के टायकून बनने की तैयारी में मुकेश अंबानी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। टेलीकॉम मार्केट में दखल देने के दो सालों के भीतर भारत के सबसे अमीर कारोबारी ने मोबाइल फोन बाजार को डेटा की खपत करने वाले दुनिया के सबसे बड़े बाजार में तब्दील कर दिया। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी ने बेहद सधी हुई रणनीति के साथ बेहद भीड़भाड़ वाले टेलीकॉम बाजार में प्रवेश किया। हालांकि इसके लिए उन्हें कंपनी के मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा दांव पर लगाना पड़ा।

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अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम की शुरुआत शून्य से हुई थी और अब उसके पास 20 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं का बड़ा बेस है और यह सभी 4जी डेटा कंज्यूमर्स हैं। रिलायंस ने जियो की मदद से जिस प्राइस वॉर की शुरुआत की, उसकी वजह से कई छोटी कंपनियों को इस बिजनेस से बाहर होना पड़ा और कुछ कंपनियों को मर्जर का रास्ता चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा। तीसरे नंबर पर आने की रिलायंस जियो की जिद ने जहां भारती एयरटेल के मुनाफे पर गहरा चोट किया वहीं आइडिया को वोडाफोन के साथ हाथ मिलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। विलय के बाद अब वोडाफोन-आइडिया भारत की सबसे टेलीकॉम कंपनी है।

मुनाफे में जियो

इस बीच रिलायंस जियो अब मुनाफे के रास्ते पर निकल पड़ी है। पिछली दो तिमाही में उसे मुनाफा हुआ है। कंपनी को यह मुनाफा वैसे समय में हुआ है, जब अन्य टेलीकॉम कंपनियों का राजस्व और मुनाफा दबाव में है। जियो ने जिस कीमत पर इंटरनेट की पेशकश की, उसने भारतीय टेलीकॉम बाजार में डेटा की खपत को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने नीति आयोग के चीफ अमिताभ कांत के दिसबंर 2017 में किए गए ट्वीट के हवाले से बताया है, ‘भारत में मोबाइल डाटा की खपत संयुक्त रूप से अमेरिका और चीन से ज्यादा है।’ बेशक कीमतों में आई गिरावट से उपभोक्ताओं को फायदा हुआ है लेकिन इसका नुकसान देश की तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को उठाना पड़ा है। ब्लूमबर्ग के अनुमान के मुताबिक भारती एयरटेल को 30 सितंबर को समाप्त तिमाही तक करीब 8.1 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

जियो से बदल गई तस्वीर

जियो के टेलीकॉम बाजार में आने से पहले भारत में 10 से अधिक वायरलेस प्रोवाइडर्स हुआ करती थीं। लेकिन जियो के आने के बाद अब बाजार में तीन बड़ी कंपनियां मौजूद हैं। जुलाई के अंत तक के आंकड़ों के मुताबिक जियो के आने के बाद भारतीय बाजार में सबसे बड़ी कंपनी वोडाफोन आइडिया है, जिसके पास 38.4 फीसद हिस्सेदारी है। दूसरे नंबर 29.8 फीसद बाजार हिस्सेदारी के साथ एयरटेल हैं जबकि तीसरे नंबर रिलायंस जियो मौजूद है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी 12.2 फीसद है। जबकि जियो के बाजार में आने से पहले की स्थिति को देखा जाए तो 24.8 फीसद बाजार हिस्सेदारी के साथ भारतीय एयरटेल सबसे बड़ी कंपनी थी। दूसरे नंबर 19.1 फीसद हिस्सेदारी के साथ वोडाफोन थी जबकि तीसरे पायदान पर आइडिया थी, जिसकी बाजार हिस्सेदारी 17 फीसद थी। अन्य कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी करीब 21.2 फीसद थी।

गीगा फाइबर से बदल जाएंगे बाजार के समीकरण

खबरों के मुताबिक रिलायंस भारत के सबसे बड़े केबल टीवी और ब्रॉडबैंड सर्विसेज प्रोवाइडर्स हैथवे केबल एंड डेटाकॉम और डेन नेटवर्क्स में हिस्सेदारी खरीदने जा रही हैं। पेट्रोकेमिकल्स के कारोबार की देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी की पोर्टफोलियो में अब डेटा बिजनेस सबसे बड़ा कारोबार बनने की तरफ अग्रसर है। इस सेवा को आपके घरों तक पहुंचाने के लिए रिलायंस को स्थानीय स्तर पर गीगा फाइबर नेटवर्क की जरूरत होगी। कंपनी ने इसके लिए मेन सेंटर को स्थापित कर लिया है और घरों तक इस नेटवर्क को पहुंचाने के लिए उसे पहले से बाजार में मौजूद केबल और ब्रॉडबैंड कंपनी की जरूरत पड़ेगी। इसी जरूरत की वजह से हैथवे और डेन नेटवर्क्स में रिलायंस हिस्सेदारी खरीदने जा रही है।

कैसा होगा अधिग्रहण?

हैथवे केबल का मालिकाना हक राहेजा ग्रुप के पास है जबकि समीर मनचंदार डेन नेटवर्क्स का मालिकाना हक रखते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों ही कंपनियां नए शेयर जारी करेंगी और रिलायंस की हिस्सेदारी 25 फीसद से अधिक और 50 फीसद से कम होगी। हैथवे केबल भारत की अग्रणी केबल टीवी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है। इसके साथ ही यह केबल ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइडर भी है। जियो इसी नेटवर्क का इस्तेमाल कर घरों तक फाइबर नेटवर्क का जाल बिछाएगा। कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (45.5 फीसद) प्रोमोटर्स की है। प्रोमोटर्स में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (14.1 फीसद) अक्षय राहेजा की है।


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