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पहले से कम दर पर मिलेंगे MSME को कर्ज, अगले दो-तीन दिनों में बैंकों को भेज दिया जाएगा दिशानिर्देश

अभी एमएसएमई को बिना गिरवी वाले जो कर्ज दिए जा रहे हैं उसकी ब्याज दर 10.5 फीसद है।

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 08:42 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 05:12 PM (IST)
पहले से कम दर पर मिलेंगे MSME को कर्ज, अगले दो-तीन दिनों में बैंकों को भेज दिया जाएगा दिशानिर्देश
पहले से कम दर पर मिलेंगे MSME को कर्ज, अगले दो-तीन दिनों में बैंकों को भेज दिया जाएगा दिशानिर्देश

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। MSMEs को 3 लाख करोड़ रुपये के बिना गिरवी वाले कर्ज 9-10 फीसद की दर पर मिल सकते हैं। अभी भारतीय स्टेट बैंक एमएसएमई को बिना गिरवी वाले कर्ज 10.5 फीसद की दर से देता है। एनबीएफसी की तरफ से एमएसएमई को जो कर्ज दिए जाएंगे उसकी ब्याज दर 14 फीसद तक हो सकती है। गत बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी। इसके तहत एमएसएमई को 3 लाख करोड़ रुपये के बिना गिरवी वाले कर्ज देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए एमएसएमई से कोई फीस नहीं ली जाएगी। 

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सूत्रों के मुताबिक इस कर्ज के वितरण के लिए अगले तीन-चार दिनों में बैंकों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे। अभी एमएसएमई को बिना गिरवी वाले जो कर्ज दिए जा रहे हैं, उसकी ब्याज दर 10.5 फीसद है। एमएसएमई कर्ज वितरण से जुड़े एक बैंक अधिकारी ने बताया कि बिना गिरवी या गारंटी वाले कर्ज एमएसएमई को अब भी दिए जा रहे हैं। अभी कोई भी एमएसएमई 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज इस स्कीम के तहत ले सकता है। लेकिन अभी बिना गिरवी वाले कर्ज लेने के लिए एमएसएमई को 2.5-3 लाख रुपये सरकार को फीस के रूप में देना होता है। 

सरकार इस फीस को क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज में रखती है जिससे एमएसएमई के उस कर्ज का बीमा कराया जाता है। अगर एमएसएमई कर्ज नहीं चुका पाता है तो बैंक को अभी के नियम के मुताबिक 75 फीसद राशि सरकार लौटा देती है। लेकिन बुधवार को जो घोषणा की गई है उसके तहत एमएसएमई को कर्ज लेने के लिए किसी प्रकार की कोई फीस नहीं देनी होगी। 

केंद्र के पास एमएसएमई के 10,000 करोड़ से भी कम बकाए शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव टी.वी. सोमनाथन ने केंद्र सरकार पर एमएसएमई के बकाए को लेकर चल रहे अनुमानों पर विराम दे दिया। वित्त मंत्री की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सोमनाथन ने बताया कि इस साल 31 मार्च तक केंद्र सरकार के अधीनस्थ काम करने वाली सार्वजनिक कंपनियां और रक्षा व रेलवे जैसे केंद्र सरकार के विभागों के पास एमएसएमई के 10,000 करोड़ से भी कम के बकाए हैं। ये बकाए भी 45 दिनों की सीमा के भीतर के के हैं। 

एमएसएमई कानून के मुताबिक कंपनियों को 45 दिनों के भीतर एमएसएमई उनके बकाए का भुगतान करना होता है। अब तक इस बात का अनुमान लगाया जा रहा था कि केंद्रीय कंपनियों व विभागों के पास एमएसएमई के एक लाख से पांच लाख करोड़ रुपये तक के बकाए हैं।


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