12 बड़े डिफॉल्टर्स के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत भारतीय बैंकों के लिए सकारात्मक कदम: मूडीज
देश के बड़े डिफॉल्टर्स के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत को मूडीज ने बेहतर बताया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हाल ही में चिन्हित किए गए देश के 12 बड़े डिफॉल्टर के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत भारतीय बैंकों के लिए सकारात्मक कदम है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में सुधार लाएगा। यह बात मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कही है। गौरतलब है कि आरबीआई ने उन 12 बड़े डिफाल्टर्स की पहचान की है जिनकी देश के कुल एनपीए में 25 फीसद की हिस्सेदारी है।
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा:
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “भारतीय बैंकों की साख के लिए यह सकारात्मक है क्योंकि इस योजना के तहत बेहतर समाधान से उनकी संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही यह कदम छोटे देनदारों के पास फंसे कर्ज के समाधान के लिए भी नजीर बनेगा।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यह निर्देश एक साल तक बैंक के लाभ पर नकारात्मक असर डालेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि इस कदम से कमजोर सरकारी बैंकों की पूंजी की जरूरत में तेजी लाएगा और इन्हें भारत सरकार की तरफ से ज्यादा पूंजी की दरकार हो सकती है। मूडीज का अनुमान है कि सरकारी बैंकों को 2019 तक 95,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी की जरूरत होगी। मार्च 2019 तक के लिए पूंजी की जरूरत सरकार की तरफ से तय 20,000 करोड़ रुपये के बजट से काफी ज्यादा है।
किन खाताधारकों के पास पैसा:
रिजर्व बैंक ने जिन खातों की पहचान की है, उनमें एम्टेक ऑटो पर 14,074 करोड़ रुपये, भूषण स्टील पर 44,478 करोड़ रुपये, एस्सार स्टील पर 37,284 करोड़ रुपये, भूषण पावर ऐंड स्टील पर 37,248 करोड़ रुपये, आलोक इंडस्ट्रीज पर 22,075 करोड़ रुपये, मोनेट इस्पात पर 12,115 करोड़ रुपये और लैंको इन्फ्रा पर 44,364.6 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।
इस सूची में शामिल अन्य कंपनियां में इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स पर 10,273.6 करोड़ रुपये, इरा इन्फ्रा पर 10,065.4 करोड़ रुपये, जेपी इन्फ्राटेक पर 9,635 करोड़ रुपये, एबीजी शिपयार्ड पर 6,953 करोड़ रुपये और ज्योति स्ट्रक्चर्स पर 5,165 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।