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वित्तीय अनुशासन के रास्ते पर बने रहने से भारत की क्रेडिट प्रोफाइल में आएगा सुधार: मूडीज

मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने कहा यदि भारत वित्तीय अनुशासन के रास्ते आगे चलता है तो क्रेडिट प्रोफाइल मं सुधार आएगा

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 14 Apr 2017 04:50 PM (IST)Updated: Sat, 15 Apr 2017 09:39 AM (IST)
वित्तीय अनुशासन के रास्ते पर बने रहने से भारत की क्रेडिट प्रोफाइल में आएगा सुधार: मूडीज
वित्तीय अनुशासन के रास्ते पर बने रहने से भारत की क्रेडिट प्रोफाइल में आएगा सुधार: मूडीज

नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत यदि वित्तीय अनुशासन के रास्ते आगे चलता है और एफआरबीएम की सिफारिशों के अनुरूप वित्तीय परिषद का गठन करता है तो इसकी क्रेडिट प्रोफाइल मं सुधार आएगा। ऐसा मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज का कहना है।

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वित्तीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समिति ने सुझाव दिया है कि राजकोषीय घाटा (व्यय और प्राप्तियों के बीच का अंतर होता है) वर्ष 2022-23 तक 2.5 फीसद पर लाया जाना चाहिए, जो कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 3.2 फीसद रहने का बजट अनुमान रखा गया है।

मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज इंडिया के सॉवरेन विश्लेषक विलिमय फॉस्टर ने कहा, “एफआरबीएम की सिफारिशों के फ्रेमवर्क में वित्तीय अनुशासन का क्रियान्वयन और वित्तीय परिषद के गठन का समय कर्ज का बोझ कम करेगा और भारत के क्रेडिट प्रोफाइल को सुधरेगा।”

पूर्व राजस्व सचिव एन के सिंह की अगुवाई वाली समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि वर्ष 2023 तक केंद्र के कर्ज-सकल घरेलू उत्पादन अनुपात को 40 फीसद पर लाया जाए जो मौजूदा समय में 49 फीसद है। वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार का कुल कर्ज-सकल घरेलू उत्पादन अनुपात 68.5 फीसद है। रेटिंग एजेंसियों ने अक्सर भारत के कर्ज-सकल घरेलू उत्पादन के ऊंचे अनुपात को खतरे की झंडी बताया है।


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