Real Estate Sector: सरकार के इन प्रयासों से लौट सकते हैं इस सेक्टर के अच्छे दिन
पिछले साल सितंबर में आईएलएंडएफस संकट के सामने आने के बाद नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) भी कैश की कमी का सामना कर रही हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार पांच फीसद पर आ गयी है। ऑटो, रियल एस्टेट, उर्वरक एवं इस्पात उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यही कारण है कि सरकार ने 23 अगस्त के बाद आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को पटरी पर लाने के लिए विभिन्न उपायों की घोषणा की है। सरकार ने ऑटो सेक्टर एवं एनबीएफसी सेक्टर को मजबूती देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वादा किया है कि सरकार रियल एस्टेट सेक्टर और घर खरीदार को राहत देने की दिशा में प्रयास करेगी।
आखिर देश के रियल एस्टेट सेक्टर की क्या है परेशानी?
ज्यादातर रियल एस्टेट डेवलपर नकदी के भारी संकट से जूझ रहे हैं। पिछले साल सितंबर में आईएलएंडएफस संकट के सामने आने के बाद नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) भी कैश की कमी का सामना कर रही हैं। रियल एस्टेट सेक्टर को इस वजह से सबसे अधिक नुकसान हुआ है क्योंकि डेवलपर और खरीदार दोनों को पर्याप्त धन नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा कई बड़े डेवलपरों ने कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट किया है। दूसरी तरफ, नकदी की कमी, मुकदमेबाजी एवं जरूरी लाइसेंस एवं मंजूरी नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट परियोजनाएं विलंबित हैं या अटकी पड़ी हैं। इस वजह से परियोजना लागत काफी अधिक बढ़ जा रही है।
रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी के मुताबिक देश के प्रमुख सात बड़े शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता में कुल मिलाकर 6.65 लाख ऐसे फ्लैट हैं, जो अब तक नहीं बिके हैं।
रियल एस्टेट क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए अब तक किये गए उपाय
पुरी के मुताबिक सरकार मैक्रो-इकोनॉमिक जरूरतों और ग्राहकों की धारणा को मजबूती देने के लिए आवश्यक कदमों को लेकर अवगत है और उसके कुछ कदमों से इस बात के संकेत मिले हैं कि वह इस क्षेत्र को लेकर गंभीर है। उनके मुताबिक घर एवं वाहन खरीदारों के लिए कर्ज समर्थन में वृद्धि की घोषणा एवं आवासीय वित्तीय कंपनियों के लिए 20,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराने जैसे कदम इस तरफ इशारा करते हैं। उन्होंने गणेश चतुर्थी के साथ शुरू हुए फेस्टिव सीजन के लिहाज से इसे अच्छा बताया है।
रियल एस्टेट सेक्टर के लिए सरकार उठा सकती है ये कदम
1. अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए स्ट्रेस एसेट फंड का गठन किया जा सकता है।
2. निर्माणाधीन एवं रेडी टू मूव प्रोपर्टी के लिए कर व्यवस्था को अधिक उदार बनाने पर सरकार कर सकती है विचार।
3. रियल एस्टेट सेक्टर में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए लंबी अवधि के निवेश के लिए किये जा सकते हैं उपाय।
4. मांग बढ़ाने के लिए घर खरीदारों को इंसेंटिव दे सकती है सरकार।
5. सरकार किफायती आवास परियोजनाओं (अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट) के दायरे को 45 लाख रुपये से बढ़ाकर 70 लाख रुपये करने की मांग पर कर सकती है विचार।
6. डेवलपरों को बैंक से कर्ज प्राप्त करने के लिए नियमों में ढील दी जा सकती है।
7. तमाम तरीके की आवश्यक मंजूरी से जुड़े नियमों को सरल बनाया जा सकता है।