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निवेश से निर्यात तक झंझट खत्‍म करेगी सरकार, बनेगी सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट की नीति

सिंगल विंडो से नियमन-प्रमाणन में लगने वाला वक्त बचेगा दुश्वारियां घटने के साथ लॉजिस्टिक्स मद में लागत कम होगी।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:04 AM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 01:30 PM (IST)
निवेश से निर्यात तक झंझट खत्‍म करेगी सरकार, बनेगी सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट की नीति
निवेश से निर्यात तक झंझट खत्‍म करेगी सरकार, बनेगी सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट की नीति

नई दिल्ली, बृजेश दुबे। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के जरिये निवेशकों को आकर्षित करने, छोटे और मझोले कारोबारियों को उत्पीड़न से बचाने और प्रतिस्पर्धी बाजारों में उनके लिए मौका बनाए रखने की कोशिश कर रही केंद्र सरकार निवेश से लेकर निर्यात तक, नियमन, प्रमाणन और परिवहन संबंधी खर्चे घटाएगी। साथ ही इनसे संबंधित झंझट भी खत्म करेगी। हालांकि सरकार लॉजिस्टिक्स नीति बनाने की घोषणा कर इस दिशा में पहले ही आगे बढ़ चुकी है, लेकिन बजट में कुछ प्रावधान कर इसे जल्द ही अमली जामा पहनाने का भी संकेत दिया गया है। वित्त मंत्री ने सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक्स नीति जारी करने की घोषणा बजट में की है। 

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सिंगल विंडो से नियमन-प्रमाणन में लगने वाला वक्त बचेगा, दुश्वारियां घटने के साथ लॉजिस्टिक्स मद में लागत कम होगी। अभी इस मद में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 14 फीसद से अधिक खर्च होता है, जिसे वर्ष 2022 तक 10 फीसद के नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है। भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, सरकार की 40 सहायक पार्टनर कंपनियों, 37 निर्यात संवर्धन परिषद और 500 से अधिक प्रमाणपत्रों के साथ बेहद जटिल है। 

अभी 16,000 करोड़ डॉलर (करीब 12 लाख करोड़ रुपये) के बाजार वाले इस सेक्टर में 200 शिपिंग कंपनियां, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएं, 129 इनलैंड कंटेनर डिपो, 168 कंटेनर फ्रेट स्टेशन और 50 से अधिक आइटी सिस्टम व बैंक शामिल हैं, जो 10 हजार से अधिक वस्तुओं के परिवहन में अपनी भूमिका निभाते हैं। 

यह क्षेत्र 1.20 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। इतनी अहम भूमिका निभाने वाले इस सेक्टर की जटिलता यहीं खत्म नहीं होती। आयात-निर्यात के मामले में भी 81 प्राधिकरणों और 500 प्रमाणपत्रों की जरूरत पड़ती है। नियमन, प्रमाणन के बाद ही परिवहन के जाल में उलझे इस सेक्टर से संबंधित कार्यशैली पर आर्थिक सर्वेक्षण में भी सवाल उठाए गए थे। निर्यात के लिए दिल्ली से जा रहे माल के बंदरगाह तक पहुंचने में 19 दिन लगने का उदाहरण देकर सर्वे रिपोर्ट में खामी से निजात पाने का सुझाव दिया गया था। 

वित्त मंत्री ने बजट पेश करने के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के लिए लॉजिस्टिक्स के संबंध उन सभी उपायों और सुविधाओं की घोषणा की है, जिससे परिवहन, प्रमाणन और नियमन में खर्च घटेगा। बजट में ब्लॉक/तालुका स्तर पर भंडारण गृह, गांव स्तर पर बीज भंडार गृह, रेल और हवाई सेवा से जुड़ी कोल्ड चेन की व्यवस्था की गई है। सरकार का मानना है कि इससे लॉजिस्टिक्स खर्च घटेगा और निर्यात में 5-8 फीसद की वृद्धि होगी। उद्यमी गुणवत्ता पूर्ण निर्माण करेंगे। इसके अलावा सरकार ने लॉजिस्टिक्स बाजार को 2022 तक 250 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। वह मान रही है तब इस क्षेत्र में करीब 2.20 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा। 

ये सुविधाएं भी मिलीं

इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल: निवेशकों के लिए एंड-टु-एंड यानी शुरू से लेकर अंत तक हर स्तर पर सुविधाएं देने के लिए इस सेल का प्रावधान किया गया है। इसमें निवेशक को निवेश से पहले सलाह, भूमि की उपलब्धता के साथ केंद्र और राज्य से अनुमति दिलाने की सुविधा भी शामिल होगी। यह सेल भी फेसलेस होगा यानी इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल का पोर्टल बनेगा और आवेदन से लेकर निस्तारण तक पूरी व्यवस्था ऑनलाइन होगी। 

निर्यातकों के लिए ई-रिफंड: केंद्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर निर्यातित वस्तु पर लिए गए शुल्क व कर की वापसी ई-रिफंड से होगी। निर्यातकों को विभागों के चक्कर नहीं काटने होंगे। इसके लिए सरकार योजना लांच करने जा रही है।


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