वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए एक्शन अभी जारी है
अनुराग ठाकुर का कहना है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को उबारने को लेकर अपने फैसलों पर अभी सिर्फ विराम लगाया है एक्शन आगे भी जारी रहेगा।
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कोरोना वायरस हेल्थ से ज्यादा वेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाली महामारी बन चुका है। लॉकडाउन के बाद पिछले 50 दिनों से देश की आर्थिक गतिविधियां ठप है। अर्थव्यवस्था को फिर से गतिमान करने के लिए सरकार ने पिछले हफ्ते पांच दिनों तक लगातार 54 घोषणाएं की। सरकार का दावा है कि इन घोषणाओं से अर्थव्यवस्था को कुल 20.97 लाख करोड़ रुपये का बूस्ट मिलेगा। हालांकि सवाल भी कई उठ रहे हैं। दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता राजीव कुमार ने इन घोषणाओं के पीछे की सोच व रणनीति को लेकर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से बात की। ठाकुर का कहना है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को उबारने को लेकर अपने फैसलों पर अभी सिर्फ विराम लगाया है, एक्शन आगे भी जारी रहेगा। पेश है चुनिंदा अंश:
तकरीबन 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के पीछे की आर्थिक व राजनीतिक सोच क्या थी?
आर्थिक नीतियों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की सोच हमेशा से साफ व स्पष्ट रही है। पहला, आर्थिक नीतियों को देश की गरीब व आम जनता को सेवा करने का माध्यम बनाना है और लंबित व जटिल सुधारों को भी आगे बढ़ाना है। पूरी दुनिया के सामने आर्थिक चुनौतियां बढ़ रही हैं। भारत भी अलग नहीं है। लेकिन जहां दूसरे देश अपने आपको बंद कर रहे हैं वहीं हम सबसे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने में जुट गये हैं। क्योंकि हम कोविड-19 पर विजय पा कर उसके आगे की सोच रहे हैं। हम कोविड-19 के बाद भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य ले कर चल रहे हैं, जो घोषणाएं अभी की गई हैं ये उन लक्ष्यों को साधने में मदद करेगी। इनका मकसद यह भी है कि हम सभी रणनीतिक क्षेत्रों में आयात कम करेंगे और निर्यात बढ़ाएंगे। देश की सबसे ज्यादा आबादी को रोजगार देने वाले क्षेत्रों जैसे कृषि और छोटे व मझोले उद्योगों को इसलिए ज्यादा मदद दी गई है कि वे कोविड-19 के माहौल से भी बाहर निकलें व आगे इकोनोमी की पूरी तस्वीर को भी बदलेंगे।
विपक्ष इस पैकेज से खुश नहीं है जबकि कुछ आर्थिक शोध एजेंसियों ने भी कहा है कि ग्राहकों के हाथ में सीधे पैसे देना ज्यादा सही रहता?
विपक्ष के लोग तो यह भी कह रहे थे कि हर नागरिक को एक-एक करोड़ रुपये दे दिया जाए। बात यह है कि मौजूदा हालात में हमारे पास जो संसाधन है और जो दूसरे विकल्प हैं उनका किस तरह से बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। विपक्ष के लोग प्रवासी मजदूरों के मुद्दे को राजनीति से जोड़ रहे हैं। लेकिन हमारी सरकार पहले दिन से उनकी चिंता कर रही है। चाहे लॉकडाउन के दौरान उन्हें पूरी मजदूरी दिलाने की व्यवस्था हो या अब ट्रेन से उन्हें घर पहुंचाने का इंतजाम हो, हमने हर मुद्दे पर राज्यों के साथ मिल कर कदम उठाने का काम किया है। आपने देखा होगा कि किस तरह से राज्यों को 11 हजार करोड़ रुपये आपदा राहत में अप्रैल महीने में ही दे दिए थे। 80 करोड़ लोगों को 5 किलो गेहूं/चावल, 21 करोड़ जनधन खाताधारकों को 41 हजार करोड़ एवं 9 हजार करोड़ रुपये गैस सिलेंडर के लिए सब्सिडी, 9 करोड़ किसानों को 18 हजार करोड़, 2.2 करोड़ वृद्ध, विधवा, दिव्यांग को 2800 करोड़, 1 लाख करोड़ का प्रावधान रोजगार देने के लिए किया है। मजदूरों को घर पहुंचने पर उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था करने के लिए मनरेगा में 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान करना बताता है कि हम उनके भविष्य को लेकर भी चिंतित है। देश के किसी भी हिस्से में हम महज तीन घंटे के नोटिस पर ट्रेन चलाने का इंतजाम कर चुके हैं जिसके लिए किराए का वहन 85 फीसद केंद्र व 15 फीसद राज्य सरकारें कर रही हैं। सफर के दौरान प्रवासी मजदूरों के खाने पीने का पूरा इंतजाम केंद्र सरकार देख रही हैं, लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए राज्यों को आगे आना होगा। इसके अलावा आपको यह भी नहीं पता है कि आने वाले दिनों में कोविड-19 की मार कहां-कहां पड़ेगी। भगवान ना करे लेकिन अगर इसका ज्यादा असर हुआ तब भी हमें लड़ने के लिए तैयार रहना होगा।
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कोविड-19 का देश की इकोनॉमी पर क्या असर पड़ेगा, क्या कोई आकलन सरकार के स्तर पर हुआ है?
कोविड-19 का क्या असर पड़ेगा, यह अभी कहना काफी मुश्किल है। सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के किसी भी देश के किसी भी मंत्री के लिए। यह विश्व युद्ध एक और विश्व युद्ध दो से भी ज्यादा विभीषक हो सकता है। किसी युद्ध से भी उतना नुकसान नहीं होता जितना इससे हो रहा है। सरकार के स्तर पर लगातार एक-एक बदलाव व संभावित असर पर नजर रखी जा रही है। बहुत कुछ विवेचना अभी शेष है, जो कुछ अभी तक हालात सामने आए हैं उसे देखते हुए हमने फैसला किया है। कई तरह के डाटा जुटाने का काम जारी है। मोदी सरकार की सोच व जोश में कोई कमी नहीं है, हम देश को उबारने में निश्चित तौर पर सफल रहेंगे।
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सरकार के पैकेज में पर्यटन, नागरिक उड्डयन जैसे सेवा सेक्टर के लिए कुछ नहीं है, क्या आगे उनके लिए कोई ऐलान करेंगे?
देखिए, नागरिक उड्डयन, पर्यटन जैसे क्षेत्रों को लेकर हमारे पास सुझाव आ रहे हैं।, लेकिन इन सेक्टर को खुलने में अभी वक्त लगेगा। साथ ही आप यह भी ध्यान में रखिए कि 25 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट लिमिट या 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले उद्यमों के लिए जो घोषणाएं की गई हैं, उनमें इस सेक्टर के भी काफी सारे लोग आएंगे। बहरहाल, हमलोग इनकी समस्याओं का भी अध्ययन कर रहे हैं। उसके बाद कुछ फैसला ले सकते हैं। हमारा एक्शन जारी है और जारी रहेगा।