Manufacturing PMI: विनिर्माण गतिविधियों में जून में उल्लेखनीय सुधार, रोजगार के मोर्चे पर अभी नहीं मिली है राहत
Manufacturing PMI जून में आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 47.2 पर रहा जो मई में 30.8 के स्तर पर था। (PCPixabay)
नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां जून में उल्लेखनीय सुधार के साथ स्थिरता की तरफ बढ़ती नजर आईं। हालांकि, कई राज्यों में क्षेत्रीय स्तर पर लॉकडाउन बढ़ाए जाने से कारोबार से जुड़ी परिस्थितियां और कमजोर हुईं। IHS Markit के ताजा सर्वे में यह कहा गया है। जून में आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 47.2 पर रहा, जो मई में 30.8 के स्तर पर था। मई के मुकाबले उल्लेखनीय सुधार के बावजूद देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में लगातार तीसरे महीने संकुचन देखने को मिला। उल्लेखनीय है कि लगातार 32 माह तक की वृद्धि के बाद अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में संकुचन देखने को मिला।
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पीएमआई के संदर्भ में 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।
IHS Markit में अर्थशास्त्री इलियट केर्र ने कहा, ''अप्रैल और मई की तुलना में उत्पादन और नए ऑर्डर दोनों में संकुचन में कमी आने से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां जून में स्थिरता की तरफ बढ़ीं।''
केर्र ने कहा कि कोरोनावायरस के मामलों में हाल में दर्ज की गई वृद्धि और उस वजह से लॉकडाउन बढ़ाए जाने के कारण मांग कमजोर बनी हुई है। मांग की स्थिति और कमजोर होने की वजह से जून में भी नौकरियों में छंटनी का सिलसिला जारी रहा।
सर्वेक्षण के मुताबिक जून में भी देश में उत्पादन एवं नए ऑर्डर्स में कमी देखने को मिली लेकिन अप्रैल और मई के मुकाबले इसकी गति मंद रही। निर्यात से जुड़े ऑर्डर में लगातार चौथे महीने कमी देखने को मिली।
भारत में कोविड-19 की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 17,400 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इससे संक्रमित लोगों की संख्या 5,85,493 तक पहुंच गई है।
लागत की बात करें तो भारतीय विनिर्माताओं की लागत में कमी आई है और इस वजह से मैन्युफैक्चरर्स ने अपनी औसत आउटपुट कीमतों में कमी की है।
वहीं, कंपनियां 12 महीने के कारोबार को लेकर आशावादी नजर आ रही हैं और कारोबारी सेंटिमेंट चार माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।