खाद्य सुरक्षा पर भारत की जीत
कृषि सब्सिडी पर विकसित देशों की आपत्तियों के बावजूद विकासशील देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपनी बात मनवाने में सफल रहे हैं। अनाजों की सरकारी खरीद और वितरण में सब्सिडी की सीमा पार कर जाने के बावजूद जुर्माना नहीं लगाने पर डब्ल्यूटीओ सहमत हो गया है। अब डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा योजनाओं क
बाली। कृषि सब्सिडी पर विकसित देशों की आपत्तियों के बावजूद विकासशील देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपनी बात मनवाने में सफल रहे हैं। अनाजों की सरकारी खरीद और वितरण में सब्सिडी की सीमा पार कर जाने के बावजूद जुर्माना नहीं लगाने पर डब्ल्यूटीओ सहमत हो गया है। अब डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा योजनाओं को बिना किसी डर के चला सकेंगे।
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इस मसले पर संगठन में भारत विकासशील देशों की अगुवाई कर रहा है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इसे डब्ल्यूटीओ में भारत की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि यह अहम दिन है। मैं बहुत खुश हूं। इससे दुनियाभर के किसानों और गरीबों के हितों की रक्षा हो सकेगी। खाद्य सुरक्षा पर भारत के अड़ने से यहां चल रही मंत्रिस्तरीय बैठक के नाकाम होने की आशंका बढ़ गई थी। मगर डब्ल्यूटीओ के मुखिया रॉबर्टो एजेवेदो की ओर से गुरुवार देर रात को हुई कोशिश से बैठक ऐतिहासिक व्यापार समझौते की ओर बढ़ने में सफल रहा। इस समझौते से ग्लोबल व्यापार के 100 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।
खाद्य सुरक्षा के जिस प्रस्ताव पर डब्ल्यूटीओ राजी हुआ है उससे भारत सहित तमाम सदस्य देश न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अनाजों की खरीद कर सकेंगे और इसे गरीबों को सब्सिडी पर उपलब्ध करा सकेंगे। साथ ही, अपनी जरूरत के मुताबिक खाद्यान्न भंडारण को भी डब्ल्यूटीओ ने मंजूरी दे दी है। खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर जुर्माने से छूट की भारत की मांग को कृषि पर समझौते (एओए) के नवीनतम मसौदे में शामिल किया गया है। एओए के मसौदे में सार्वजनिक भंडारण के संबंध में अंतिम समाधान निकलने तक अंतरिम व्यवस्था पर सहमति जताई गई है।
गतिरोध खत्म करने के लिए डब्ल्यूटीओ महानिदेशक एजेवेदो द्वारा बुलाई गई बैठक शुक्रवार तड़के तक जारी रही। इसमें आनंद शर्मा के अलावा अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि माइकल फोर्मेन और इंडोनेशियाई व्यापार मंत्री गीता विर्जवान मौजूद रहे। एजेवेदो ने भारत के कड़े रुख को देखते हुए शर्मा के साथ 90 मिनट तक अलग से भी बैठक की। भारत के कड़े रुख के चलते ही विकसित देश खाद्य सुरक्षा मुद्दों से निपटने में लचीला रुख अपनाने की उसकी मांग मानने को तैयार हो गए।
इससे पहले अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित अन्य विकसित देश भारत से पीस क्लॉज को स्वीकार करने को कह रहे थे जिसमें कृषि सब्सिडी के 10 फीसद से अधिक होने की स्थिति में भी जुर्माने पर चार साल की छूट की पेशकश की गई थी।