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आंतरिक विरोध के साथ आई महाराष्ट्र की नई उद्योगनीति

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। करीब छह साल बाद महाराष्ट्र ने अपनी नई औद्योगिक नीति घोषित कर दी । लेकिन यह नीति तैयार करने में उसे जहां एक साल लग गए, वहीं बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दिलवाने में भी मुख्यमंत्री को पसीने छूट गए।

By Edited By: Published: Thu, 03 Jan 2013 10:23 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
आंतरिक विरोध के साथ आई महाराष्ट्र की नई उद्योगनीति

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। करीब छह साल बाद महाराष्ट्र ने अपनी नई औद्योगिक नीति घोषित कर दी । लेकिन यह नीति तैयार करने में उसे जहां एक साल लग गए, वहीं बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दिलवाने में भी मुख्यमंत्री को पसीने छूट गए।

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देश की आर्थिक-व्यावसायिक राजधानी मुंबई में ही अपनी राजधानी रखनेवाला महाराष्ट्र राज्य अपने पड़ोसी गुजरात से ही औद्योगीकरण में पिछड़ता जा रहा है। माना जा रहा है कि मोदी की तीसरी जीत के बाद अगले सप्ताह ही गुजरात में होने जा रहे वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में एक बार फिर निवेशक गुजरात पर निवेश की बौछार करते दिखेंगे। संभवत: इस संभावना को देखते हुए ही मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण एवं उद्योगमंत्री नारायण राणे ने कई मुद्दों पर सत्ता में अपनी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विरोधों के बावजूद आज नई उद्योगनीति की घोषणा कर दी । इससे पहले 2006 में बनी उद्योगनीति में बड़े उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जिसका कोई खास फायदा राज्य को नहीं मिल सका। इस बार पिछली नीति से सबक लेते हुए अत्यंत छोटे, छोटे एवं मंझोले उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उद्योगनीति तैयार की गई है।

सरकार में साझीदार राकांपा नई उद्योगनीति में एसईजेड की भूमि के आवासीय उपयोग को लेकर असंतुष्ट है। नीति में कहा गया है कि किसानों से उद्योग लगाने के लिए खरीदी गई जमीनों के 60 फीसद हिस्से पर उद्योग लगाने की अनुमति दी जाएगी, 30 फीसद हिस्से पर आवास, अस्पताल व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी एवं शेष 10 फीसद हिस्सा वाणिज्यिक कामों के लिए इस्तेमाल होगा । राकांपा को आशंका है कि आवासीय उपयोग के लिए दी जानेवाली 30 फीसद जमीनों पर उद्योगपति आवासीय इमारतें बनाकर उन्हें महंगी कीमतों पर बेचेंगे। पता चला है कि बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी राकांपा के कई मंत्रियों ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री व उद्योगमंत्री को घेरने की कोशिश की थी । हालांकि नई औद्योगिक नीति के सभी पहलुओं पर अभी बहस होनी बाकी है, लेकिन भारतीय उद्योग संघ [सीआईआई] ने प्रथमदृष्ट्या नई नीति का स्वागत किया है।


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