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RBI ने सुप्रीम कोर्ट से एनपीए पर प्रतिबंध का अपना अंतरिम आदेश वापस लेने का किया आग्रह

केंद्रीय बैंक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी गिरी ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम आदेश को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा ‘हमें एनपीए पर प्रतिबंध लगाने के कोर्ट के अंतरिम आदेश के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 04:29 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 07:34 AM (IST)
RBI ने सुप्रीम कोर्ट से एनपीए पर प्रतिबंध का अपना अंतरिम आदेश वापस लेने का किया आग्रह
गैर-निष्पादित परिसंपत्ति ( NPA ) P C: Flickr

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट से अपने उस अंतरिम आदेश को वापस लेने का आग्रह किया है, जिसमें कहा गया है कि इस साल 31 अगस्त तक जिन खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित नहीं किया है, उन्हें अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस आदेश के चलते उसे ‘कठिनाइयों का सामना’ करना पड़ रहा है।

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गौरतलब है कि कर्जदारों को कोरोना वायरस महामारी संकट के समय में राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सितंबर को अंतरिम आदेश पास किया था। मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज लिए जाने से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई कर रही जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच से आरबीआई की ओर से पेश वकील ने यह बात कही।

केंद्रीय बैंक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी गिरी ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम आदेश को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा, ‘हमें एनपीए पर प्रतिबंध लगाने के कोर्ट के अंतरिम आदेश के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।'

सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले पर सुनवाई को एक बार फिर टाल दिया है। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई को अब 18 नवंबर तक के लिए टाल दिया है। इससे पहले मंगलवार को केन्द्र सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई को 5 नवंबर तक के लिए टाला था।

लोन मोरेटोरियम मामले में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आफ इंडिया पहले ही सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर बता चुके हैं कि सरकार ने मोरेटोरियम अवधि का ब्याज पर ब्याज न वसूले जाने की योजना तैयार की है और 2 करोड़ तक कर्ज लेने वालों से मोरेटोरियम अवधि का ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा। वित्त मंत्रालय और आरबीआई ने यह भी बताया था कि 2 करोड़ तक के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच का वसूला गया अंतर 5 नवंबर तक कर्जदारों के खातों में वापस कर दिया जाएगा।


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