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Loan Moratorium Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार के लिए टाली लोन मोरेटोरियम मामले पर सुनवाई, ब्याज पर ब्याज से जुड़ा है मामला

Loan Moratorium Case इस मामले में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) पहले ही सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर बता चुके हैं कि सरकार ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज न वसूले जाने की योजना तैयार की है

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 08:01 AM (IST)
Loan Moratorium Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार के लिए टाली लोन मोरेटोरियम मामले पर सुनवाई, ब्याज पर ब्याज से जुड़ा है मामला
सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर PC: File Photo

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ब्याज पर ब्याज छूट मामले की सुनवाई को गुरुवार, 19 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उपस्थित ना रहने के चलते सुनवाई को गुरुवार के लिए टाला है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान आई लोन मोरेटोरियम योजना से जुड़े मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में होनी थी।

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गौरतलब है कि कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूले जाने को चुनौती दी है। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच इस लोन मोरेटोरियम मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेंगी। इससे पहले इस मामले पर सुनवाई पांच नवंबर को होनी थी, जिसे 18 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया था।

इस मामले में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) पहले ही सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर बता चुके हैं कि सरकार ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज न वसूले जाने की योजना तैयार की है और 2 करोड़ तक कर्ज लेने वालों से मोरेटोरियम अवधि का ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा।

वित्त मंत्रालय और आरबीआई ने यह भी बताया था कि 2 करोड़ तक के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच का वसूला गया अंतर 5 नवंबर तक कर्जदारों के खातों में वापस कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगे लॉकडाउन में लोगों को नकदी संकट का सामना करना पड़ा था। ऐसे में लोगों के लिए लोन की किस्तें चुकाना मुश्किल हो गया था। इस परिस्थिति को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्जदारों को लोन मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। अर्थात लोन मोरेटोरियम की अवधि में कर्जदार चाहें तो लोन की किस्त टाल सकते थे। नहीं चुकाई कई किस्त का ब्याज मूलधन में जुड़ गया। अर्थात ब्याज पर ब्याज लगा। 


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