कर्ज अदायगी में 30 दिनों से ज्यादा देरी होने पर लिस्टेड कंपनियों को 24 घंटे के भीतर देनी होगी जानकारी
sebi ने कहा कि यह फैसला लिस्टेड कंपनियों के समय पर कर्ज की किस्तों का भुगतान नहीं कर पाने से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पाने की कमी दूर करने के लिए किया है।
मुंबई, पीटीआइ। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने लिस्टेड कंपनियों के लिए समय पर कर्ज नहीं चुका पाने की जानकारी देने संबंधी नियमों को और सख्त कर दिया है। नियामक के निदेशक बोर्ड ने पोर्टफोलियो प्रबंधकों और राइट इश्यू जारी करने के नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है। सेबी के निदशक बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में कई अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई।
सेबी ने व्यावसायिक उत्तरदायित्व रिपोर्ट (बीआरआर) जमा करने का दायरा बढ़ाया है। अब 500 की जगह शीर्ष 1,000 कंपनियों को बीआरआर रिपोर्ट जमा करनी होगी। सेबी के बोर्ड की बैठक के बाद चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि कर्ज भुगतान में विफलता को लेकर नए डिस्क्लोजर नियमों का मकसद निवेशकों की मदद के लिए और पारदर्शिता लाना है।
त्यागी ने कहा, ‘कर्ज के मूलधन या ब्याज अदायगी में 30 दिनों से ज्यादा की देरी होने पर लिस्टेड कंपनियों को 24 घंटे के भीतर कर्ज भुगतान नहीं कर पाने के बारे में तथ्यों का खुलासा करना होगा।’ सेबी ने कहा कि यह फैसला लिस्टेड कंपनियों के समय पर कर्ज की किस्तों का भुगतान नहीं कर पाने से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पाने की कमी दूर करने के लिए किया है। नया नियम एक जनवरी, 2020 से लागू होगा।
आइएलएंडएफएस से सबक
आइएलएंडएफएस समेत कई कंपनियों में समय पर कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने जैसी कई घटनाएं सामने आई हैं। कई मामलों में कर्ज चुकाने में देरी की जानकारी बहुत देरी से दी गई। बैठक में लिए गए अन्य निर्णयों के तहत सेबी मौजूदा शेयरधारकों को उनके अधिकार के मुताबिक शेयर जारी करने के नियमों को संशोधित करेगा। राइट्स इश्यू की समय सीमा 55 दिन से घटाकर 31 दिन की जाएगी। इसके अलावा बाजार नियामक पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए नियमों को संशोधित करेगा।