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LIC Listing: BSE पर 81.80 रुपये की गिरावट के साथ लिस्‍ट हुए LIC के शेयर्स, निवेशकों को किया निराश

LIC Listing भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आईपीओ (IPO) में निवेश करने वालों को निराशा हाथ लगी है। शेयर अपने इश्यू प्राइस से कम कीमत पर खुले हैं जिससे निवेशकों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 12:17 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 12:23 PM (IST)
LIC Listing: BSE पर 81.80 रुपये की गिरावट के साथ लिस्‍ट हुए LIC के शेयर्स, निवेशकों को किया निराश
LIC Listing: BSE पर 81.80 रुपये और NSE पर 77 रुपये की गिरावट के साथ लिस्ट हुए LIC के शेयर्स

नई दिल्ली, पीटीआइ/बिजनेस डेस्क। भारतीय जीवन बीमा निगम के शेयर आज स्टॉक एक्सचेंज्स पर सूचीबद्ध हुए और इसके साथ ही LIC के IPO में निवेश करने वाले लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। एनएसई पर एलआईसी के शेयर 8.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 872 रुपये प्रति शेयर पर सूचीबद्ध हुए। वहीं, बीएसई पर शेयर 8.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 867.20 रुपये पर सूचीबद्ध हुए। बता दें एलआईसी के शेयरों का इश्यू प्राइस 949 रुपये प्रति शेयर था।

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बीएसई और एनएसई पर क्रमशः 81.80 रुपये और 77 रुपये की गिरावट के साथ सूचीबद्ध हुए। दोपहर 12 बजे एलआईसी के शेयर 893.90 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, जो अपने इश्यू प्राइस से 55.10 रुपये या 5.81% कम पर थे। इस दौरान एलआईसी के शेयर सबसे ऊपर 920 रुपये जबकि सबसे नीचे 860.10 रुपये तक गए। हालांकि, ज्यादातर समय इसके शेयर 890 और 900 रुपये के आसपास ट्रेड करते रहे।

गौरतलब है कि एलआईसी के आईपीओ को घरेलू निवेशकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। इसे लगभग 3 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था। खुदरा और संस्थागत खरीदारों ने इसे ज्यादा सब्सक्राइब किया जबकि विदेशी निवेशकों ने इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे सरकार को 20,557 करोड़ रुपये मिले हैं।

सरकार ने एलआईसी के शेयरों का जो निर्गम मूल्य 949 रुपये प्रति शेयर तय किया था, उसमें से एलआईसी पॉलिसीधारकों और खुदरा निवेशकों को छूट दी गई थी, इसके साथ ही इन्हें क्रमशः 889 रुपये और 904 रुपये की कीमत पर शेयर मिले थे।

एलआईसी का आईपीओ 9 मई को बंद हुआ था और 12 मई को शेयर आवंटित किए गए थे। आईपीओ के माध्यम से सरकार ने एलआईसी में 22.13 करोड़ से ज्यादा शेयर बेचे, जो उसकी एलआईसी में 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के बाराबर हैं।

हालांकि, सरकार की पहले योजना थी कि वह एलआईसी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी को आईपीओ के जरिए बेचेगी लेकिन बाद में बाजार की मौजूदा स्थितियों के कारण सरकार ने आईपीओ के आकार को पहले तय किए गए 5 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया था।


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