Lakshmi Vilas Bank के DBS Bank में विलय के प्रस्ताव पर उठ रहे सवाल, बैंकिंग क्षेत्र के संगठनों ने कही ये बातें
Lakshmi Vilas Bank Merger निजी क्षेत्र के कर्जदाता लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) और सिंगापुर स्थित डीबीएस होल्डिंग्स की भारतीय शाखा के विलय में बैंकिंग क्षेत्र के संगठनों को गड़बड़झाला लग रहा है। उल्लेखनीय है कि RBI ने हाल में LVB पर एक माह का मोरेटोरियम लगाया है।
चेन्नई, आइएएनएस। निजी क्षेत्र के कर्जदाता लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) और सिंगापुर स्थित डीबीएस होल्डिंग्स की भारतीय शाखा के विलय में बैंकिंग क्षेत्र के संगठनों को गड़बड़झाला लग रहा है। बैंक के शेयरधारकों, आम नागरिकों और कई बैंकिंग यूनियन का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने जिस तरह से डीबीएस इंडिया को लक्ष्मी विलास बैंक मुफ्त में देने का फैसला किया है, उसमें कई झोल हो सकते हैं। ऑल इंडिया बैंक इंप्लॉईज एसोसिएशन (एआइबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि आरबीआइ के नेतृत्व में एलवीबी के डीबीएस इंडिया में विलय की जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें बड़ा झोल नजर आ रहा है।
आरबीआइ इस विलय को लेकर जिस जल्दबाजी में दिख रहा है, उसमें घोटाले की आशंका भी दिखाई दे रही है। बैंक के एक लाख से अधिक शेयरधारकों को विलय योजना पर प्रतिक्रिया देने के लिए महज तीन दिनों का वक्त दिया गया है। एलवीबी का ठीक से मूल्यांकन तक नहीं किया गया है। आरबीआइ ने मंगलवार को कहा कि विलय के अस्तित्व में आने के बाद एलवीबी का परिचालन बंद समझा जाएगा। बैंक के शेयर और डिबेंचर डिलिस्ट माने जाएंगे, यानी किसी भी शेयर बाजार में उनकी खरीद-फरोख्त नहीं हो सकेगी।
देना बैंक के सेवानिवृत्त डिप्टी जनरल मैनेजर पी. रामानुजम के मुताबिक बुनियादी सवाल यह है कि एलवीबी को संपदा बिक्री की प्रक्रिया से क्यों नहीं गुजारा गया और डिजॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआइसीजीसी) को सामने आने तथा बैंक को पूंजी मुहैया कराने का मौका क्यों नहीं दिया गया। अगर डीआइसीजीसी को पूंजी मुहैया कराने दिया जाता, तो जमाकर्ताओं को निकासी की सुविधा मिल सकती थी। अगर किसी बैंक के विफल होने की चुभन उसमें शामिल सभी पक्षों तक नहीं पहुंचेगी, तो बैंकों का इस तरह विफल होना जारी रहेगा।
गौरतलब है कि रामानुजम ने एक नागरिक की हैसियत से इस बारे में आरबीआइ को चिट्ठी भी लिखी है। उनके मुताबिक आरबीआइ को एलवीबी और डीबीएस, दोनों से उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए थी। गौरतलब है कि एलवीबी के विलय की अंतिम योजना अब अगले हफ्ते सार्वजनिक की जाएगी। इस सप्ताह मंगलवार को केंद्रीय बैंक ने एलवीबी को एक महीने की मोरेटोरियम अवधि में रखते हुए इसके विलय को लेकर ड्राफ्ट स्कीम जारी की थी। आइरबीआइ ने बताया था कि बैंक के संचालन के लिए सिंगापुर के डीबीएस बैंक की भारतीय शाखा डीबीएस इंडिया 2,500 करोड़ रुपये लगाएगी।
ड्राफ्ट स्कीम में कहा गया है कि विलय के उपरांत प्रमोटरों समेत निवेशकों का बैंक के ऊपर किसी प्रकार का कोई हक नहीं रह जाएगा। तमिलनाडु के करुर स्थित बैंक के प्रमोटर इसके क्रियान्वयन पर सेबी समेत अन्य नियामकीय संस्थाओं का रुख करने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही इन्होंने आरबीआइ से अपील की है कि बैंक के प्रमोटर समेत निवेशकों के हितों का आरबीआइ अपनी अंतिम योजना में ध्यान रखे। बैंक में केआर प्रदीप की अगुआई में प्रमोटरों की हिस्सेदारी महज 6.8 प्रतिशत है। हालांकि खुदरा निवेशकों की बैंक में शेयर के रूप में 45 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। संस्थागत निवेशकों में सबसे अधिक इंडियाबुल्स हाउसिंग की 20 फीसद की हिस्सेदारी है।