नए Labour Codes चालू वित्त वर्ष में लागू किए जाने की संभावना नहीं, जानिए वजह
राज्यों द्वारा नियमों को ड्राफ्ट करने में हो रही देरी और यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव जैसे राजनीतिक कारणों से इस वित्त वर्ष में इन नए कानूनों को लागू किए जाने की संभावना नहीं है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चार नए Labour Codes को चालू वित्त वर्ष में लागू किए जाने की उम्मीद नहीं है। राज्यों द्वारा नियमों को ड्राफ्ट करने में हो रही देरी और यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव जैसे राजनीतिक कारणों से इस वित्त वर्ष में इन नए कानूनों को लागू किए जाने की संभावना नहीं है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी। इन कानूनों का क्रियान्वयन काफी अधिक महत्व रखता है क्योंकि इसे एक बार लागू होने के बाद कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी घट जाएगी और कंपनियों की प्रोविडेंट फंड से जुड़ी देनदारी बढ़ जाएगी।
सूत्र ने बताया, ''श्रम मंत्रालय चार श्रम संहिताओं के हत नए नियमों के साथ तैयार है। लेकिन राज्यों में नए संहिताओं के मुताबिक नियमों को ड्राफ्ट करने और अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। इसके अलावा सरकार भी राजनीतिक कारणों से चार श्रम संहिताओं को लागू करने में इच्छुक नहीं है। इन कारणों में अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव (फरवरी 2022 में चुनाव ड्यु है) शामिल हैं।''
इन चार कोड्स को संसद ने पारित कर दिया है। हालांकि, इन संहिताओं के क्रियान्वयन के लिए इन नियमों को केंद्र द्वारा अधिसूचित किया जाना है। इसके साथ ही अलग-अलग क्षेत्र में इन्हें लागू करने के लिए राज्य सरकार भी इन्हें नोटिफाई करेंगे।
सूत्र ने कहा, ''इस बात की संभावना है कि चार लेबर कोड्स का क्रियान्वयन चालू वित्त वर्ष से आगे खींच सकता है।''
एक बार नया श्रम कानून लागू हो जाने के बाद कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि की गणना से जुड़े नियम में उल्लेखनीय बदलाव आ जाएगा।
श्रम मंत्रालय की परिकल्पना के मुताबिक पहले इन चार Labour Codes को एक अप्रैल, 2021 को लागू किया जाना था। इन लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं। इन चार कोड्स में 44 केंद्रीय श्रम नियमों को समाहित कर दिया गया है।