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आरबीआई मौद्रिक समीक्षा: ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव, जानिए तीन बड़े कारण और अर्थशास्त्रियों की राय

तमाम अर्थशास्त्रियों और एक्सपर्ट का मानना है कि आरबीआई ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं करेगा

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 11:09 AM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 11:09 AM (IST)
आरबीआई मौद्रिक समीक्षा: ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव, जानिए तीन बड़े कारण और अर्थशास्त्रियों की राय
आरबीआई मौद्रिक समीक्षा: ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव, जानिए तीन बड़े कारण और अर्थशास्त्रियों की राय

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चालू वित्त वर्ष 2018-19 में आरबीआई की पहली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक आज खत्म हो रही है। आज दोपहर तक तय हो जाएगा कि आरबीआई ब्याज दरों में बदलाव करेगी या उसे यथावत रखेगी। हालांकि तमाम अर्थशास्त्रियों और एक्सपर्ट का मानना है कि आरबीआई ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं करेगा। आरबीआई के इस रुख के पीछे के कई बड़े कारण भी हैं।

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आरबीआई क्यों नहीं बदलेगा नीतिगत दरें, तीन बड़े कारण:

वैश्विक स्तर पर बढ़ती ब्याज दरें: आरबीआई नीतिगत दरों पर कोई भी फैसला लेते वक्त वैश्विक स्तर पर बढ़ रहीं ब्याज दरों को भी संज्ञान में लेगा। हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों का इजाफा किया था। लिहाजा आरबीआई नीतिगत दरों को यथावत ही रख सकता है।

खरीफ फसलों पर एमएसपी पर मुद्रास्फीति को प्रभावित करेगी: नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की ओर से खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में उनकी उत्पादन लागत का डेढ़ गुना तक बढ़ोतरी की घोषणा के बाद, आरबीआई की पिछली बैठक में कहा गया था कि इससे मुद्रास्फीति में इजाफा हो सकता है।

मानसून पर स्पष्टता और वैश्विक परिस्थितियां: आरबीआई अपने तटस्थ रुख में आगे भी विस्तार दे सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति 2018-19 में 4.5% की सीमा पर रहने की संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में यथास्थिति बनाए रखने की संभावना है क्योंकि केंद्रीय बैंक मानसून पर स्पष्टता का इंतजार कर रहा है।

पिछली बैठक में क्या हुआ था फैसला: एमपीसी ने 5-6 दिसंबर (2017) को हुई अपनी पिछली बैठक में वित्तवर्ष 2017-18 की अपनी पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इस बैठक में रेपो रेट को छह फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसद पर बरकरार रखा था।

क्या कहते हैं अर्थशास्त्री:

स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अनुभूति सहाय ने बताया, “जनवरी-मार्च तिमाही की मुद्रास्फीति (जो कि अपने लक्ष्य से ज्यादा है) को देखते हुए आरबीआई एमपीसी एक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकती है। इसके अलावा ग्रोथ रिकवरी को देखते हुए एमपीसी की ओर से किसी बड़े कदम को उठाए जाने की संभावना कम है। हालांकि मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे के जोखिमों को लेकर सतर्क रहेगा जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणाओं पर निर्भर है।

MPC में RBI रख सकता है रेपो रेट को बरकरार: UBS

भारतीय रिजर्व बैंक 5 अप्रैल को होने वाली नीतिगत समीक्षा बैठक में रेपो रेट छह फीसद पर यथावत रह सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आर्थिक विकास में सुधार और मंहगाई दर में नरमी देखने को मिल रही है। ऐसा वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी यूबीएस का मानना है।

यूबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की स्टेटमेंट में तटस्थ रहने को लेकर सर्तक रह सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई का मार्च तिमाही के लिए 5.1 फीसद का अनुमान था। फरवरी महीने में खुदरा महंगाई घटकर 4.4 फीसद रही है।


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