निवेश के लिए खरीदने जा रहे हैं गोल्ड तो पहले पढ़ लीजिए यह खबर
शेयर बाजार उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है जबकि गोल्ड 1500 डॉलर की ऊंचाई से काफी नीचे है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। साल 2017 में गोल्ड ने निवेशकों को करीब 5 फीसद का रिटर्न दिया, जो 2016 की तुलना में आधा था। ऐसे में 2018 में अपना निवेश पोर्टफोलियो तैयार करते समय कितना हिस्सा गोल्ड को दिया जाए यह सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है। वह भी ऐसे समय पर जब शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हो। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि छोटी से मध्यम अवधि में सोने की कीमतों में कुछ तेजी देखने को मिल सकती है लेकिन सालभर में रिटर्न की बात करें तो इस साल सोने में किसी बड़ी तेजी की उम्मीद करना सही नहीं है।
बड़ी तेजी की उम्मीद कम: ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज के कमोडिटी हेड राजीव कपूर के मुताबिक साल की पहली तिमाही में सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन इसके बाद कीमतों में तेजी गिरावट की आशंका है। पूरे साल में गोल्ड सकारात्मक रिटर्न तो देगा लेकिन यह 3 से 5 फीसद का ही होगा। सोने की कीमतों में आगे जाकर कमजोरी का कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगातार आ रहा सुधार होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि सोने को सुरक्षित निवेश विकल्प के तौर पर माना जाता है। अमेरिका में टैक्स रिफॉर्म और फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी सोने की कीमतों में गिरावट का बड़ा कारण बन सकती है।
कीमतों को मिल सकता है सपोर्ट: केडिया कमोडिटीज के प्रमुख अजय केडिया के मुताबिक सोने के आयात का बढ़ना और दुनिया के किसी भी हिस्से में भू-राजनैतिक संकट या युद्ध जैसी स्थिति के संकेत सोने की कीमतों को सपोर्ट दे सकती है। केडिया के मुताबिक चीन में अभी भी मंदी बनी हुई है इस वजह से वहां सोने का आयात (900 से 950 टन) स्थिर बना हुआ है। लेकिन अगर भारत की बात करें तो भारत की स्थिति थोड़ी अलग है। साल 2016 में भारत ने 500 टन सोने का आयात किया था। पूरे साल कहा गया कि मांग नहीं है फिर भी भारत 700 से ज्यादा टन सोने का आयात कर चुका है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सोने की मांग है। पहली छमाही में ही 500 टन से ऊपर का आयात और जून के बाद 200 से ज्यादा टन सोने का आयात हम कर चुके हैं। ऐसे में यह मांग निश्चित तौर पर सोने की कीमतों को सपोर्ट करेगी।
इसी तरह दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी से पैदा हुई चिंता सोने की कीमतों को सपोर्ट करेगी। साथ ही केडिया का यह भी मानना है कि शेयर बाजार उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है जबकि गोल्ड 1500 डॉलर की ऊंचाई से काफी नीचे है। ऐसे में अगर शेयर बाजार में मुनाफावसूली आती है निश्चित तौर पर फंड मैनेजर अपने पोर्टफोलियो में गोल्ड के आवंटन को बढ़ाएंगे।