फसल कर्जमाफी देश की ग्रोथ के लिए जोखिम है, जानिए कैसे
पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक सरकार ने भी किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा की है
नई दिल्ली (जेएनएन)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य के प्रत्येक किसान का 50,000 रुपए तक का कर्ज माफ कर दिया जाएगा, अगर वह 20 जून से पहले लिया गया है। जानकारी के मुताबिक इससे राज्य के सरकारी खजाने पर 8,165 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के जरिए की है।
कर्जमाफी की घोषणा करने वाला चौथा राज्य बना कर्नाटक:
पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक किसानों का कर्जमाफ करने वाला चौथा राज्य बन गया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले से उन 22 लाख किसानों को फायदा होगा जिन्होंने सरकारी बैंकों से कर्जा ले रखा है। हालांकि सरकार के इस फैसले को एसबीआई रिसर्च अर्थशास्त्रियों की मंजूरी नहीं मिली है जिनका मानना है कि पिछली फसल कर्जमाफी के परिणामस्वरूप भविष्य के ऋणों पर पुनर्भुगतान की स्थिति बिगड़ गई थी।
अपनी एक रिपोर्ट में एसबीआई रिसर्च, जो कि देश के सबसे बड़े कर्जदाता बैंक की इकोनॉमिक रिसर्च इकाई है का कहना है कि किसान कर्जमाफी से राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जैसा कि हाल ही में कुछ राज्यों ने शराब पर प्रतिबंध और यूडीए कार्यक्रम के तहत राज्य बिजली बोर्डों को कर्ज पुनर्गठन के कारण हाल के दिनों में राजस्व हानि का सामना किया है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है, “हालांकि फसल कर्जमाफी से किसानों को अस्थाई तौर पर राहत मिल जाती है और ग्रामीण इलाकों में उपभोग (खपत) बढ़ जाती है, लेकिन ऐसी योजनाओं के लिए वित्त पोषण राजकोषीय घाटे और राज्य सरकारों का लाभ उठाने का स्तर को खराब कर देता है। जब तक अतिरिक्त संसाधनों को जुटाया नहीं जाता है या अन्य व्यय नियंत्रित किया जाता है।”