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UP से महाराष्ट्र तक सूखे बैंकों के एटीएम, पढ़िए नकदी संकट से जुड़ी 10 बड़ी बातें

हाल ही में सामने आए नकदी संकट पर बेशक हालात सामान्य होने लगे हैं, लेकिन अभी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में आने में कुछ वक्त लगेगा

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 05:46 PM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 07:33 AM (IST)
UP से महाराष्ट्र तक सूखे बैंकों के एटीएम, पढ़िए नकदी संकट से जुड़ी 10 बड़ी बातें
UP से महाराष्ट्र तक सूखे बैंकों के एटीएम, पढ़िए नकदी संकट से जुड़ी 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बीते तीन साल में दूसरी बार ऐसा मौका देश के सामने आया जब उनकी गली-मुहल्लों के अधिकांश एटीएम अचानक सूख गए। वित्तीय इमरजेंसी कहे जा रहे इन हालातों पर बेशक सरकार ने तुरंत एक्शन ले लिया हो और जल्द से जल्द एटीएम में पैसा पहुंचाने का आदेश भी जारी कर दिया हो, लेकिन हालात सामान्य होने में अभी कुछ दिन और लगेंगे। ऐसा खुद सरकार ने कहा है। हम अपनी इस खबर में आपको समझाने के कोशिश करेंगे कि आखिर देश को ऐसी वित्तीय मजबूरी का सामना क्यों करना पड़ा। पढ़िए देश के हालिया नकदी संकट से जुड़ी 10 बड़ी बातें।

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क्यों खराब हुए हालात?

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में एटीएम नकदी की कमी 5 से सात दिनों में सामान्य हो जाएगी। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक देश में पिछले तीन महीनों में मुद्रा की मांग में असाधारण उछाल देखा गया है। देश के जिन हिस्सों में मांग में यह असामान्य उछाल आया है उनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार शामिल हैं।

क्या है देश के एटीएम में समस्या?

नोटबंदी के समय वादा किया गया था कि 50, 100 रुपये के नोटों की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी। 200 रुपये के नए नोट जारी हुए हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है। सौ रुपये के पुराने नोट बैंकों को दिए जा रहे हैं जिसे बैंक इसलिए इस्तेमाल नहीं कर रहे कि ये नोट एटीएम में फंस जाते हैं। अभी एटीएम को 50 रुपये के लायक बनाया भी नहीं गया है। ऐसे में बैंक सिर्फ व 2000 रुपये के नोट एटीएम में डाल रहे हैं, जो राशि के लिहाज से तो अधिक होते हैं, लेकिन संख्या में कम होते हैं। लोगों को 600 की जगह 1000 और 1200 रुपये की जगह 2000 रुपये निकालने पड़ रहे हैं।

नकदी संकट पर क्या बोले शिवराज?

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी इस नए नकदी संकट में साजिश की आशंका नजर आ रही है। नकदी के संकट से प्रदेश को उबारने के लिए मप्र के 10 हजार एटीएम में 100 करोड़ रुपए अतिरिक्त पहुंचाना शुरू कर दिया गया है। बुधवार को एटीएम की स्थिति सामान्य रही। हालांकि, 100 के नोट बहुत कम एटीएम में मिले। अधिकांश एटीएम में पैसा मिला, वहीं अगले 48 घंटे में और भी सुधार की संभावना बैंक अधिकारी जता रहे हैं।

सरकार ने किया 500 रुपए के ज्यादा नोट छापने का वादा: आर्थिक मामलों के सचिव ने एस सी गर्ग ने बताया, “हम हर दिन 500 करोड़ रुपए मूल्य के 500 के नोटों की छपाई करते हैं। हमने नोटों की छपाई को 5 गुना करने के लिए कदम उठाया है। अगले कुछ दिनों में हम हर दिन 2,500 करोड़ रुपये मूल्य के 500 के नोटों की आपूर्ति करने लगेंगे। इस तरह एक महीने में हम 70,000 से 75,000 करोड़ रुपये मूल्य के 500 के नोटों की आपूर्ति करने लगेंगे।”

नकदी की स्थिति पर क्या कहती है एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट?

एसबीआई रिसर्च ने कहा है कि सिस्टम में 70 हजार करोड़ रुपए की नकदी की कमी है। यह एटीएम के जरिए निकाली जाने वाली मासिक धनराशि का एक तिहाई है। एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर 9.8 प्रतिशत की सामान्य जीडीपी बढ़ोतरी को माना जाए तो मार्च 2018 तक लोगों को 194 खरब रुपए की करेंसी उपलब्ध होनी चाहिए थी जबकि वास्तव में यह 175 खरब रुपए ही उपलब्ध है।

नासिक प्रेस में कम हुआ नोटो की छपाई का काम: एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो नासिक की करेंसी प्रेस में 500 रुपए, 200 रुपए, 100 रुपए और 20 रुपए के नोटों की छपाई में 44 फीसद की कमी आई है। इन रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि 500 रुपए के नोटों की छपाई का काम नवंबर 2017 में ही रोक दिया गया जबकि 200,100 और 20 रुपए के नोटों की छपाई को इस साल 1 अप्रैल को रोक दिया गया।

डिपाजिट ग्रोथ की मंदी ने भी बदतर किए हालात: मार्च 2018 के दौरान बैंक जमा में मात्र 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2016-17 में यह वृद्धि 15.3 फीसद की रही थी। वहीं इसी अवधि के दौरान, बैंक क्रेडिट पिछले वर्ष की तुलना (8.2 फीसद) में 10.3 फीसद तक बढ़ गया।

आरबीआई बैंकों को नहीं दे रहा है पर्याप्त नकदी: नकदी संकट की एक और वजह बैंकों को आरबीआई की ओर से पर्याप्त नकदी का न मिलना भी रही है। बैंकों का कहना है कि उन्हें उतनी नकदी नहीं मिल पा रही है जिसकी वो मांग कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार में मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर देखा जा रहा है। ऐसे में जब मांग 40,000 से 45,000 करोड़ रुपए प्रति माह ही है, तब आपूर्ति सिर्फ 20,000 करोड़ रुपए प्रतिमाह की ही हो रही है।

फसल और शादियों का सीजन: आम तौर पर, फसल के मौसम के दौरान भारत में नकद निकासी बढ़ जाती है, जो कि आमतौर पर मार्च से अप्रैल के बीच होता है और अक्टूबर में त्यौहारों का सीजन शुरू हो जाता है। लेकिन हाल के तीन महीनों के दौरान करेंसी की मांग में तेज उछाल देखने को मिला है। वहीं देश (उत्तर भारत) के कुछ हिस्सों में सादियों के सीजन में भी नकदी निकासी बढ़ जाती है। इसे भी नकदी संकट की एक वजह माना जा सकता है।

सिस्टम में वापस नहीं आ रहा है 2000 का नोट: तमाम बैंक अधिकारियों ने यह बात कही है कि 2000 रुपए के नोटों का एक बड़ा चंक सिस्टम में वापस नहीं आ रहा है वो कहीं अटका पड़ा है। इस वजह से यह संदेह भी बढ़ रहा है कि कहीं 2000 रुपए के नोट का इस्तेमाल ब्लैकमनी के लिए तो नहीं किया जा रहा है।


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