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पांच साल में दोगुना हुआ कुल कपड़ा उत्पादन में खादी का हिस्सा, रोजगार का भी हुआ सृजन

Khadi and Village Industries Commission ने मंगलवार को बताया कि साल 2018-19 में कुल कपड़ा मिल उत्पादन में खादी कपड़े की हिस्सेदारी पांच साल पहले की तुलना में दोगुनी दर्ज की गई।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 06:21 PM (IST)
पांच साल में दोगुना हुआ कुल कपड़ा उत्पादन में खादी का हिस्सा, रोजगार का भी हुआ सृजन
पांच साल में दोगुना हुआ कुल कपड़ा उत्पादन में खादी का हिस्सा, रोजगार का भी हुआ सृजन

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। खादी की डिमांड मार्केट में तेजी से बड़ रही है। अब यह सिर्फ नेताओं तक ही सीमित नहीं रही बल्कि आम लोगों की भी पसंद बन रही है। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने मंगलवार को बताया कि साल 2018-19 में कुल कपड़ा मिल उत्पादन में खादी कपड़े की हिस्सेदारी पांच साल पहले की तुलना में दोगुनी दर्ज की गई।

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खादी ग्रामोद्योग आयोग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014-15 में फैब्रिक का उत्पाद 2,286 मिलियन वर्ग मीटर था, जबकि खादी का उत्पादन 105.38 मिलियन वर्ग मीटर था, जो कि कुल कपड़ा उत्पादन का 4.23 फीसद था। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2018-19 में मिल फैब्रिक का उत्पादन घटकर 2,012 मिलियन वर्ग मीटर रह गया, जबकि खादी कपड़े का उत्पादन 170.80 मिलियन वर्ग मीटर रहा, जो कुल कपड़ा उत्पादन का 8.49 फीसद था।

न्यूज एजेंसी पीटीआइ के अनुसार खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि खादी कपड़े का उत्पादन 4.23 फीसद से बढ़कर 8.49 फीसद होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खादी के प्रति स्पष्ट आह्वान के कारण संभव हो सका है।

विनय कुमार सक्सेना ने कहा, "यह हमारे लिए उत्साहजनक है कि पिछले पांच वर्षों में कपड़ा क्षेत्र के अंदर खादी की हिस्सेदारी 4.23 प्रतिशत से बढ़कर 8.49 प्रतिशत हो गई है, जो कि 200 फीसद ज्यादा है। साल 1956 से 2013-14 तक खादी का उत्पादन 105.38 मिलियन वर्ग मीटर के आंकड़े तक पहुंचा था, पिछले पांच वर्षों में (2014-15 से 2018-19 तक) इसमें 65.42 मिलियन वर्ग मीटर की वृद्धि हुई है।"

सक्सेना ने आगे कहा कि हाल के वर्षों में एमएसएमई (MSME) मंत्रालय और केवीआईसी द्वारा नई नीतियों और पहलों के कारण खादी क्षेत्र में कारीगरों की संख्या भी बढ़ रही है। सक्सेना ने कहा कि उन्होंने रोजगार बढ़ाने के लिए नए खादी संस्थानों का पंजीकरण शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में कारीगरों की संख्या 4,94,684 हो गई।

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