जीएसटी जैसे कुछ कर सुधारों से दिक्कतें सामने आईं: जेटली
जेटली ने नोटबंदी व जीएसटी का नाम लिये बगैर कहा कि दोनों कदमों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी है
नई दिल्ली (जेएनएन)। कर अदायगी को देशभक्तिपूर्ण कर्तव्य बताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगर हमें दुनिया में बड़ी ताकत बनना है तो हम ऐसा देश बने नहीं रह सकते हैं जहां छद्म अर्थव्यवस्था वास्तविक अर्थव्यवस्था से भी बड़ी हो।
यहां एक कार्यक्रम में जेटली ने नोटबंदी व जीएसटी का नाम लिये बगैर कहा कि दोनों कदमों से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी है। लेकिन दुनिया में विकसित और सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में इसकी सफाई का काम हो रहा है।
सरकार इस दिशा में एक-एक करके कदम उठा रही है। इसके फायदे भी नजर आने लगे हैं। कर आधार और डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ा है जबकि अर्थव्यवस्था से नकदी बाहर निकली है। जीएसटी जैसे कर सुधार लागू होने से कुछ दिक्कतें सामने आने की बात स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि करों का भुगतान करना अनिवार्य है। जेटली ने कहा कि कर चुकाना प्रत्येक नागरिक का मूलभूत कर्तव्य है। इस व्यवस्था का हिस्सा बनना उसका देशभक्तिपूर्ण कर्तव्य है। इसी के जरिये हम दीर्घकालिक नतीजे पा सकेंगे।
जेटली ने कहा कि हमारे यहां टैक्स की दरें दुनिया भर में सबसे कम हैं। इससे हमें कर आधार को बढ़ाने का एजेंडा पूरा करने में मदद मिलेगी। प्रत्यक्ष कर के मामले में हमारा सबसे निचला टैक्स स्लैब पांच फीसद का है जबकि अप्रत्यक्ष कर के मामले में न्यूनतम दर एक फीसद है। उन्होंने कहा कि नियोजित सुधारों का लंबा सफर तय करना है। सरकार ने कई सेक्टरों में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने समेत कुछ आसान कदम उठाये हैं। इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड को देरी से हुआ सुधार बताते हुए वित्त मंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि इसके फायदे जल्दी ही नजर आएंगे।