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ITR फाइलिंग के लिए डेडलाइन तो बढ़ गई, लेकिन करदाताओं के लिए खत्म नहीं हुईं मुश्किलें

अगर आपकी आय 5 लाख से ज्यादा की है और आपने 1 सितंबर 2018 से 31 दिसंबर 2018 के बीच रिटर्न फाइल की है तो आपको 5,000 रुपये की पेनाल्टी देनी होगी

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 12:44 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 06:17 PM (IST)
ITR फाइलिंग के लिए डेडलाइन तो बढ़ गई, लेकिन करदाताओं के लिए खत्म नहीं हुईं मुश्किलें
ITR फाइलिंग के लिए डेडलाइन तो बढ़ गई, लेकिन करदाताओं के लिए खत्म नहीं हुईं मुश्किलें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन में भले ही विस्तार दे दिया गया हो लेकिन टैक्सपेयर (करदाताओं) की मुश्किलें अब भी कम नहीं हुईं हैं।

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जब आखिरी मिनटों के दौरान साइट पर भारी ट्रैफिक होता है तो कुछ लोग उचित प्रक्रियाओं के माध्यम से आईटीआर फाइलिंग में सफल हो जाते हैं, फिर वो चाहें ऑनलाइन माध्यम से हो या चार्टेड अकाउंटेंट की मदद से। वहीं कुछ लोग इस बात को लेकर परेशान हो जाते हैं कि उन्हें बीते वित्त वर्ष के दौरान किए गए खर्चों और बचत का लेखाजोखा भी ध्यान करना होता है। इन सब का उल्लेख आईटीआर फाइलिंग में करना होता है।

अब भी लगेगी पेनाल्टी: अगर आपकी आय 5 लाख से ज्यादा की है और आपने 1 सितंबर 2018 से 31 दिसंबर 2018 के बीच रिटर्न फाइल की है तो आपको 5,000 रुपये की पेनाल्टी देनी होगी। वहीं अगर आपने 1 जनवरी से 31 मार्च 2019 के बीच रिटर्न फाइल किया है तो आपको 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप 31 मार्च 2019 तक भी रिटर्न फाइल नहीं कर पाते हैं तो आपको वित्त वर्ष 2017-18 के रिटर्न फाइल करने का कोई भी मौका नहीं मिलेगा। यानी इस बार से आपको अपना आईटीआर तय आंकलन वर्ष में ही भरना होगा।

भले ही सीबीडीटी ने आईटीआर फाइल करने वालों को एक महीने की राहत दे दी है, लेकिन इस बीच अगर आप खुश हो रहे हैं तो आपको इनकम टैक्स की धारा 234B को समझने की जरूरत है।

क्या है 234B?

आयकर की धारा 234A तब लागू होती है जब आपने रिटर्न फाइल करने में देरी की हो। आसान शब्दों में अगर कोई टैक्स पेयर डेडलाइन के बाद अपना आईटीआर फाइल करता है तो आपको ब्याज का भुगतान करना होता है।

उदाहरण से समझिए: अगर आपकी टैक्स लायबिलिटी 1 लाख रुपये की है और आपने 31 मार्च 2018 से पहले सिर्फ 80 फीसद का भुगतान किया है तो आपको बाकी के बची 20,000 की राशि पर 1 फीसद के हिसाब से ब्याज का भुगतान करना होगा। यानी अगर आपने 31 जुलाई 2018 तक भुगतान नहीं किया है तो आपको 4 फीसद का भुगतान करना होगा, लेकिन अगर आप अगस्त के बाद ऐसा करते हैं तो आपको 5 फीसद ब्याज का भुगतान करना होगा।


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