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आइएलएंडएफएस के लिए कठिन होगा 25 हजार करोड़ रुपये जुटाना

उदय कोटक की अगुआई में गठित नए निदेशक बोर्ड के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी विभिन्न स्नोतों से तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम करना।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 08:47 AM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 08:47 AM (IST)
आइएलएंडएफएस के लिए कठिन होगा 25 हजार करोड़ रुपये जुटाना
आइएलएंडएफएस के लिए कठिन होगा 25 हजार करोड़ रुपये जुटाना

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। ढांचागत क्षेत्र को वित्तीय सुविधा मुहैया कराने वाली एनबीएफसी इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस सर्विसेज लि. (आइएलएंडएफएस) में नए प्रबंधन की नियुक्ति तो हो गई है लेकिन अभी इसकी मूल समस्याओं से निपटना बाकी है। देश के प्रमुख बैंकर उदय कोटक की अगुआई में गठित नए निदेशक बोर्ड के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी विभिन्न स्नोतों से तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम करना। इस पूरी राशि का इंतजाम तुरंत नहीं करना होगा लेकिन आइएलएंडएफएस को वित्तीय झंझावतों से निकालकर सशक्त वित्तीय संस्थान के तौर पर स्थापित करने के लिए इतनी बड़ी राशि की ही जरूरत होगी। कंपनी के नए निदेशक बोर्ड की बैठक गुरुवार को होगी। इस बैठक में कंपनी के मौजूदा संकट और उबारने की ओं पर चर्चा हो सकती है।

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वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नए प्रबंधन ने अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि एक हफ्ते के भीतर प्रबंधन मौजूदा समस्याओं की समीक्षा करते हुए उनके तत्काल व स्थायी समाधान का खाका सरकार को देगा। मोटे तौर पर आइएलएंडएफएस की जो समस्या है, उसे सब समझ रहे हैं कि उसके पास अपनी देनदारियां चुकाने के लिए फंड नहीं है। लेकिन यह प्रबंधन की रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा कि कितनी राशि तत्काल चाहिए और कितनी राशि की जरूरत बाद में होगी। इसके बाद ही इस राशि का इंतजाम कहां से करना है, इसका फैसला हो सकेगा। सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि आइएलएंडएफएस को डूबने नहीं दिया जाएगा और अगर वित्तीय मदद की जरूरत होगी तो उस पर भी विचार किया जाएगा।

वित्त मंत्रालय ने इस बात के संकेत दिए हैं कि कर्ज अदायगी नहीं होने पर जिन कंपनियों के खिलाफ आइएलएंडएफएस नेशनल कंपनी ला टिब्यूनल (एनसीएलटी) में गई है, उनके भी शीघ्र निपटारे की कोशिश की जाएगी। इनमें से जिन मामलों का निपटारा एनसीएलटी से बाहर हो सकता है, उन पर भी नए सिरे से विचार किया जाएगा। ऐसा करने के पीछे मकसद कंपनी के लिए जल्द से जल्द अतिरिक्त राशि का इंतजाम करना है। इसके अलावा जिन सरकारी कंपनियों पर आइएलएंडएफएस की देनदारियां हैं, उन्हें शीघ्रता से भुगतान करने की भी व्यवस्था की जाएगी। इन दोनों उपायों से इसके लिए तत्काल कुछ राशि का इंतजाम होने की संभावना है। नए प्रबंधन को यह भी कहा गया है कि वह आइएलएंडएफएस की तरफ से नए राइट इश्यू जारी करने की संभावना को तलाशे। यह रास्ता भी तत्काल अतिरिक्त राशि जुटाने के लिए एक उपयुक्त कदम होगा।

एसएफआइओ ने जांच शुरू की

सरकारी जांच एजेंसी एसएफआइओ ने आइएलएंडएफएस में हुए वित्तीय धोखाधड़ियों की जांच शुरू कर दी है। एसएफआइओ इस कंपनी के साथ ही इसकी सारी सब्सिडिरियों में हुई वित्तीय हेराफेरी की जांच कर रही है। इस जांच में कंपनी के पूर्व प्रबंधन पर भी गाज गिरने की संभावना है कि वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े संकेतों को कैसे नजरअंदाज किया।

आइएलएंडएफएस में कुल 169 सब्सिडियरियां हैं। इनमें 35 सीधे तौर की सब्सिडियरियां हैं जबकि 135 परोक्ष तौर की सब्सिडियरियां है। इसके अलावा छह संयुक्त उद्यम व चार एसोसिएट कंपनियां हैं। जाहिर है कि इनकी जांच में काफी वक्त लगेगा। 


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