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विदेशी टेलीकॉम वेंडर्स के लिए भारत आना होगा मुश्किल: मित्‍तल बोले AGR टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभूतपूर्व संकट

सरकार ने कहा है कि उन देशों की कंपनियों को भारत में कारोबार की इजाजत नहीं दी जाएगी जो भारतीय कंपनियों के लिए बाजार नहीं खोलती हैं।

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 08:56 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 01:38 PM (IST)
विदेशी टेलीकॉम वेंडर्स के लिए भारत आना होगा मुश्किल: मित्‍तल बोले AGR टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभूतपूर्व संकट
विदेशी टेलीकॉम वेंडर्स के लिए भारत आना होगा मुश्किल: मित्‍तल बोले AGR टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभूतपूर्व संकट

नई दिल्ली, पीटीआइ। टेलीकॉम उपकरण कारोबार में जैसे को तैसा की नीति पर बढ़ते हुए सरकार ने कहा है कि उन देशों की कंपनियों को भारत में कारोबार की इजाजत नहीं दी जाएगी, जो भारतीय कंपनियों के लिए बाजार नहीं खोलती हैं। यह फैसला सरकारी खरीद आदेश, 2017 के तहत आया है। इस कदम से स्थानीय मैन्यूफैक्चर्स को बढ़ावा देते हुए ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन मिलेगा।

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दूरसंचार उपकरणों का बाजार काफी बड़ा है। इसमें वाई-फाई, फिक्स्ड लाइन, सेल्युलर नेटवर्क और 5जी सेवाओं से जुड़े उपकरणों की खरीद-फरोख्त शामिल है। दूरसंचार विभाग ने सभी सरकारी विभागों को नोटिस जारी करके इस बारे में सूचना दी है।

नोटिस के मुताबिक कोई भी विदेशी सरकार जो भारतीय टेलीकॉम वेंडर्स को अपने बाजार में प्रतिस्पर्धा का मौका नहीं देती है, उसके टेलीकॉम वेंडर्स से किसी तरह का सौदा नहीं किया जाए। अगर नोडल एजेंसी को ज्ञात होता है कि किसी देश द्वारा भारतीय कंपनियों को खरीद प्रक्रिया में जगह नहीं दी गई है तो वह उसकी कंपनियों को बोली से बाहर कर सकती है या अयोग्य ठहरा सकती है। टेलीकॉम उपकरणों के मामले में दूरसंचार विभाग नोडल एजेंसी के रूप में काम करता है।

टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभूतपूर्व संकट है AGR

अग्रणी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने एजीआर को टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभूतपूर्व संकट बताया है। आइएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, मित्तल ने गुरुवार को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद से मुलाकात कर सेक्टर के लिए टैक्स छूट देने का आग्रह किया।

टेलीकॉम कंपनियां काफी समय से करों में छूट की मांग कर रही हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वोडाफोन आइडिया ने बेलआउट पैकेज की मांग की है। हालांकि, इस मामले में सरकार के पास बहुत सीमित विकल्प हैं। इसके लिए स्पेक्ट्रम शुल्क और लाइसेंस फीस में कुछ कटौती की जा सकती है। इसके अलावा ब्याज और जुर्माने में भी कुछ कटौती संभव है। 

सूत्रों का कहना है कि सरकार भी इस मामले में संतुलन की कोशिश कर रही है। हालांकि, सरकार की ओर से कोई सीधा संकेत नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि एजीआर के तहत एयरटेल पर 35,500 करोड़ रुपये का बकाया है। इसमें से 10,000 करोड़ वह पहले ही दे चुकी है। कंपनी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई से पहले वह शेष बकाया का भुगतान कर देगी।


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