केयर्न को 29,000 करोड़ का टैक्स नोटिस
पिछली तारीख से टैक्स लगाने का विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है। आयकर विभाग ने अब नोटिस भेजकर ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी से 29 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स मांगा है।
नई दिल्ली। पिछली तारीख से टैक्स लगाने का विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है। आयकर विभाग ने अब नोटिस भेजकर ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी से 29 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स मांगा है। इसमें पिछली तारीख से 18,800 करोड़ करोड़ रुपये का ब्याज भी शामिल है। वोडाफोन के बाद केयर्न दूसरी कंपनी है, जिसे इस साल रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स नोटिस भेजा गया है।
आयकर विभाग ने इससे पहले 22 जनवरी, 2014 में केयर्न को लगभग 10 हजार 247 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा था। पिछली तारीख से लागू होने वाले यानी रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की वजह से सरकार की मुश्किल बढ़ी है, क्योंकि विदेशी निवेशक इसे लेकर खासे नाराज हैं। ब्रिटेन की वोडाफोन को 14,200 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस दिया गया था। यह अब बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है।
नोटिस के मुताबिक कंपनी ने 24,503 करोड़ रुपये पर पूंजीगत लाभ कर यानी कैपिटल गेंस टैक्स नहीं चुकाया है। विभाग के मुताबिक साल 2006 में कंपनी ने भारत में स्थित सभी संपत्तियां अपनी सहयोगी फर्म के जरिये एक नई कंपनी केयर्न इंडिया को ट्रांसफर कर दी थीं। केयर्न एनर्जी ने 2015 के नतीजे घोषित करते हुए कहा कि आकलन आदेश 10,247 करोड़ रुपये और 2007 के बाद 18,800 करोड़ रुपये का है।
जेटली की थी राहत देने की घोषणा
यह टैक्स डिमांड नोटिस ऐसे समय में भेजा गया है, जब सरकार लगातार कह रही है कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स नियमों का इस्तेमाल करते हुए कोई नई कर मांग नहीं की जाएगी। हालांकि नोटिस 2016-17 में आम बजट से पहले जारी किया गया था। बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अगर कंपनियां रेस्ट्रोस्पेक्टिव टैक्स विवादों को निबटाने के लिए मूल रकम का भुगतान करने को राजी होती हैं, तो उन्हें ब्याज और पेनाल्टी से छूट दी जा सकती है।
आयकर विभाग ने जनवरी, 2014 में एक आदेश के तहत ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी को केयर्न इंडिया में 9.8 फीसद हिस्सेदारी की बिक्री करने पर रोक लगाई थी। कंपनी के मुताबिक रोक लगाते वक्त हिस्सेदारी की कीमत 100 करोड़ डॉलर थी। अभी यह कीमत 38 करोड़ डॉलर रह गई है।
भारत से सौ का करोड़ हर्जाना मांगा
हाल में ब्रिटिश तेल कंपनी केयर्न एनर्जी ने भारत से 100 करोड़ डॉलर (लगभग 6,700 करोड़ रुपये) का हर्जाना मांगा था। कंपनी ने भारत सरकार पर कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदने का आरोप लगाया है। इससे कंपनी को हानि हो रही है। कंपनी को केयर्न इंडिया का बाजार मूल्य घटने से नुकसान हुआ है। केयर्न के मुताबिक रोक लगाने से वह अपनी हिस्सेदारी समय पर ट्रांसफर नहीं कर सकी। अब तो हिस्सेदारी का मूल्य काफी घट गया है। इसलिए कंपनी हर्जाने की मांग करेगी।