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सहारा लाइफ इंश्योरेंस का प्रबंधन इरडा के हाथ में

इरडा ने सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंधन के लिए प्रशासक की नियुक्ति कर दी है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 13 Jun 2017 10:10 AM (IST)Updated: Tue, 13 Jun 2017 10:10 AM (IST)
सहारा लाइफ इंश्योरेंस का प्रबंधन इरडा के हाथ में
सहारा लाइफ इंश्योरेंस का प्रबंधन इरडा के हाथ में

नई दिल्ली (जेएनएन)। सहारा समूह की मुश्किलें बढ़ा चुके बाजार नियामक सेबी के बाद अब बीमा रेगुलेटर इरडा की भी ग्रुप की इंश्योरेंस कंपनी पर नजर टेढ़ी हो गई है। इरडा ने सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंधन के लिए यह कहते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया है कि सुब्रत राय की यह बीमा कंपनी ग्राहकों के हितों के प्रतिकूल काम कर रही है। प्रशासक बैठाने का मतलब यह है कि कंपनी के प्रबंधन पर उसका ही नियंत्रण हो गया है।

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भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण यानी इरडा ने इस बाबत एक आदेश जारी किया है। इसमें इरडा ने अपने ही एक जीएम आरके शर्मा को तत्काल प्रभाव से प्रशासक के रूप में नियुक्त कर दिया है। आदेश में नियामक ने कहा है कि इस बात पर विश्वास करने के कारण हैं कि सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ऐसे काम कर रही है जिससे पॉलिसीधारकों के हित प्रभावित होने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-मई अवधि के दौरान बीमा कंपनी ने 1.55 करोड़ रुपये की 665 पॉलिसी बेची हैं। कंपनी ने 2016-17 में 16,058 ग्राहकों से 44.68 करोड़ रुपये का प्रीमियम जुटाया था।

इरडा के चेयरमैन टीएस विजयन के हस्ताक्षर वाला आदेश कहता है कि प्रशासक लागू प्रावधानों के अनुसार काम करेगा। सहारा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के मामलों का प्रबंधन करने के लिए रेगुलेटर ने बीमा कंपनी के निदेशकों, प्रबंधन और स्टाफ से प्रशासक को पूरा सहयोग देने के लिए कहा है। नियामक ने बताया कि पॉलिसीधारकों को सही सेवा सुनिश्चित कराने के लिए बीमा कंपनी के मामलों को आसान तरीके से निपटाने की खातिर प्रशासक हरसंभव प्रयास करेगा।

संबंधित एफएक्यू (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) में रेगुलेटर ने कहा कि दावों के निपटारे के लिए सभी पॉलिसीधारकों के अनुरोध 30 दिनों में पॉलिसी संबंधी नियमों और शतोर्ं के अनुसार प्रोसेस किए जाएंगे। बता दें कि पूंजी बाजार नियामक सेबी और सहारा समूह के बीच सुप्रीम कोर्ट में भी विवाद चल रहा है। यह समूह की दो कंपनियों की ओर से निवेशकों से जुटाए गए धन से जुड़ा है। करीब 24 हजार करोड़ रुपये की इस रकम को वापस करने के सेबी के आदेश पर उच्चतम न्यायालय की मुहर भी लग चुकी है।


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