IPL-10 की हुई शुरुआत, ओपनिंग सेरेमनी से क्लोजिंग तक इन तरीकों से पैसा कमातें हैं फ्रैंचाइजी और बोर्ड
क्रिकेट का नया फॉर्मेट आईपीएल अपने 10वें साल में पहुंच गया है। जानिए कैसे आईपीएल फ्रेंचाइज और बोर्ड पैसे कमाती हैं
नई दिल्ली। बुधवार को आईपीएल के 10वें सीजन का आगाज हो गया है। इस बार आठ टीमें अगले 47 दिनों तक कुल 60 मैच खेलेंगी। आईपीएल का फाइनल मैच हैदराबाद में 21 मई को खेला जाएगा। इस लीग के जरिये दुनियाभर के बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों को जगह दी जाती है। साथ ही इसके जरिए कॉर्पोरेट भारत को भी अपने साथ जोड़ा जाता है। जानिए कैसे आईपीएल फ्रैंचाइजियां करोड़ों रुपए में स्टार खिलाड़ियों को खरीदती हैं और उनके जरिए लाखों करोड़ों की कमाई करती हैं।
ग्लोबल वैल्यूएशन और कॉर्पोरेट फाइनेंस एडवाइजर कंपनी डफ एंड फेल्प्स (Duff & Phelps) की एक रिपोर्ट के तहत आईपीएल की ब्रैंड वैल्यू सीजन 9 के बाद 416 करोड़ डॉलर (करीब 27,000 करोड़ रुपए) पर पहुंच गई थी, जो कि वर्ष 2015 में 354 करोड़ डॉलर थी।
आईपीएल को बिजनेस के लिए किया गया है डिजाइन
आईपीएल को बिजनेस के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है। यह एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे मूल्यवान कमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर विकसित किया गया है। यह कंपनियों को आक्रामक ढंग से अपने बिजनेस को विज्ञापित करने का अवसर प्रदान करता है। आईपीएल का प्रमुख बिजनेस प्लान यह है कि प्राइवेट कंपनियों को क्रिकेट फ्रैंचाइजी खरीदने के लिए बुलाया जाए। जब फ्रैंचाइजी को बड़ी कीमत पर बेच दिया जाएगा, तब कॉर्पोरेट्स भारतीय क्रिकेट के प्रमुख घटकों में निवेश के लिए आकर्षित होंगे। यही वह रास्ता है जहां से पैसा आता है।
आईपीएल सीजन 10 में विज्ञापन से होगी 1300 करोड़ की कमाई
सोनी पिक्चनर्स नेटवर्क के पास 14 प्रमुख स्पोंसर्स हैं। सीजन 10 में सोनी को 1,300 करोड़ रुपए का विज्ञापन राजस्व मिलने की उम्मीद है। वर्ष 2016 में सोनी पिक्चर्स ने आईपीएल के दौरान विज्ञापन से 1100 करोड़ रुपए की कमाई की थी।
प्लेयर्स की जर्सी पर विज्ञापन
कंपनियां खिलाड़ियों की जर्सी पर विज्ञापन देती हैं जिससे उन्हें पब्लिसिटी मिलती है। इसके लिए टीम को अच्छी खासी रकम दी जाती है।
टिकट बिक्री
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के बीच आइपीएल का बड़ा क्रेज है। टिकट का दाम टीम मालिक तय करते हैं। आईपीएल टीम के रेवेन्यू में टिकट की हिस्सेदारी तकरीबन 10 फीसदी है। खेले गए करीब 60 फीसद मैचों में स्टेडियम हाउस फुल होता है। होम टीम को कुल टिकटों की बिक्री में से एक निश्चित हिस्सा मिलता है। इसलिए हर टीम के 7 होम गेम मैच होते हैं।
मीडिया राइट्स
पिछले एक दशक से आईपीएल का आधिकारिक मीडिया स्पॉन्सर सोनी इंडिया है। आईपीएल में एक रेवेन्यू् डिस्ट्रीब्यूफशन मॉडल है। यहां बीसीसीआई को ब्रॉडकास्टर और ऑनलाइन स्ट्रीमर से अच्छी खासी रकम मिलती है। इसमें से अपनी फीस काटकर इस राशि को टीम रैंकिंग के आधार पर सभी आईपीएल टीम के बीच बांट दिया जाता है। आपको बता दें कि खेल के अंत में जिस टीम की रैंक जितनी ज्यादा होती है उसे मीडिया रेवेन्यू में उतना बड़ा हिस्सा मिलता है। आईपीएल टीम की कुल कमाई में 60-70 फीसद हिस्सा मीडिया राइट्स का होता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि कंपनियां 10 सेकेंड के स्लॉट के लिए कई लाख रुपये दे देती हैं।
प्रमुख स्पॉन्सर
हर साल आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सर बदलते हैं। सीजन 9 के लिए टाइटल स्पॉनसर वीवो था। कॉन्ट्रैक्ट के तहत वीवो एक सीजन के लिए 100 करोड़ रुपए का भुगतान करता है। इसमें से अधिकांश हिस्सा बीसीसीआई को दिया जाता है।
ब्रैंड वैल्यू
क्रिकेट में खिलाड़ियों के अलावा ब्रैंड वैल्यू भी एक अहम भूमिका निभाता है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि बॉलीवुड सितारें जैसे शाहरुख खान, प्रीति जिंटा खेल में ग्लेमर डालते हैं। विराट कोहनी और एम एस धोनी कई ब्रैंड्स के साथ जुड़े हुए हैं। टीम का इनके साथ जुड़ाव ब्रैंड वैल्यू को बढ़ाता है, जो कि कई स्पॉन्सर्स को अपनी ओर आकर्षित करता है।
प्राइज मनी
आईपीएल विजेताओं और रनर अप को एक बड़ी राशि इनाम के रुप में देता है। वर्ष 2016 में 47 करोड़ रुपये ईनाम के तौर पर दिए गए थे। आपको बता दें कि टूर्नामेंट की विजेता टीम को ईनाम राशि का सबसे बड़ा हिस्सा मिलता है। प्राइज मनी को टीम के मालिक और खिलाड़ियों के बीच बांटा जाता है।
मर्चेंडाइजिंग
भारत में गेम मर्चेंडाइज (खेल सामग्री) का बाजार वार्षिक आधार पर 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। यह बाजार करीब तीन करोड़ डॉलर का है। हर फ्रैंचाइजी मर्चेंडाइज की बिक्री करती है। इसमें टी-शर्ट, कैप, बैट, रिस्ट वॉच और अन्य कई सामग्री शामिल होती हैं।