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Sovereign Gold Bonds में निवेश साबित हो सकता है काफी फायदे का सौदा, जानें 3 प्रमुख कारण

SGBs की मेच्योरिटी 8 साल की होती है। इस बॉन्ड में निवेश करने पर आपको सोने के भाव में आठ साल में हुई बढ़ोत्तरी के साथ सालाना 2.5 फीसद का अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है। (PC Pexels)

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 02:27 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 07:04 AM (IST)
Sovereign Gold Bonds में निवेश साबित हो सकता है काफी फायदे का सौदा, जानें 3 प्रमुख कारण
Sovereign Gold Bonds में निवेश साबित हो सकता है काफी फायदे का सौदा, जानें 3 प्रमुख कारण

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) की नयी सीरीज सोमवार से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गई। यह चालू वित्त वर्ष में SGBs की पांचवीं सीरीज है। आरबीआई ने मौजूदा सीरीज के लिए 5,334 रुपये प्रति ग्राम की कीमत तय की है। ऐसे में अगर आप सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आप फिजिकल गोल्ड खरीदने की तुलना में इस बॉन्ड में निवेश को तरजीह दे सकते हैं। इसके पीछे एक नहीं कई वजहें शामिल हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आपको SGBs में किन कारणों से निवेश करना चाहिए और यह आपके लिए किस प्रकार फायदे का सौदा साबित हो सकता है। 

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चोरी या धोखाधड़ी का कोई डर नहींः अगर आप निवेश के लक्ष्य के साथ कोई महंगा आभूषण खरीदने जा रहे हैं तो दो तरह का भय हमेशा आपके मन में रहता है। सबसे पहले आपको आभूषण की सुरक्षा की चिंता होती है। आपको उसके लिए लॉकर लेना पड़ता है। दूसरा कि आपको आभूषण की गुणवत्ता को लेकर संदेह रहता है। वहीं, गोल्ड बॉन्ड में आपको क्वालिटी को लेकर किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि इस बॉन्ड में आपको सरकार की ओर से गारंटी मिलती है और रिजर्व बैंक 999 गुणवत्ता वाले यानी 24 कैरेट सोने के दाम के आधार पर इश्यू प्राइस तय करता है। इसलिए आप सोने की सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर निश्चिंत रह सकते हैं।  

स्टोरेज पर नहीं आता है कोई खर्चः अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदते हैं तो उसे रखने के लिए आप बैंक में लॉकर खुलवाते हैं। इसके लिए हर साल आपको एक शुल्क देना पड़ता है। वहीं, SGBs इलेक्ट्रॉनिक प्रतिभूतियां होती हैं इसलिए आपको उसे रखने के लिए किसी तरह का खर्च नहीं करना पड़ता है।  

जानिए कितना मिलता है रिटर्नः SGBs की मेच्योरिटी 8 साल की होती है। इस बॉन्ड में निवेश करने पर आपको सोने के भाव में आठ साल में हुई बढ़ोत्तरी के साथ सालाना 2.5 फीसद का अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है। यह इस बॉन्ड के मुख्य बातों में से एक है। गोल्ड बॉन्ड पर हर साल निवेश से प्राप्त आय पर अर्जित 2.5 फीसद के ब्याज पर टैक्स देय होता है लेकिन SGBs के मेच्योर होने पर प्राप्त कैपिटल गेन पर किसी तरह का टैक्स देय नहीं होता है। दूसरी तरफ अगर निवेशक पांच साल बाद भी अपने होल्डिंग को बेचना चाहता है तो उसे कैपिटल गेन पर टैक्स में छूट का लाभ मिलता है।   

उल्लेखनीय है कि इस साल अप्रैल में रिजर्व बैंक ने एलान किया था कि वह अप्रैल से सितंबर तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की छह सीरीज लांच करेगा। मौजूदा सीरीज के तहत आप सात अगस्त, 2020 तक गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं। इस स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति एक वित्त वर्ष में न्यूनतम एक ग्राम और अधिकतम चार किलोग्राम मूल्य के गोल्ड बॉन्ड्स खरीद सकता है।


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