पी-नोट्स में निवेश का गिरना जारी, छुआ 80,341 करोड़ रुपये का निचला स्तर
पी-नोट्स का इस्तेमाल हाई नेटवर्क इंडीविजुअल्स (एचएनआई), हेज फंडों और अन्य विदेशी संस्थानों के जरिए होता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत के पूंजी बाजार (कैपिटल मार्केट) में पार्टिसिपेटरी नोट्स के माध्यम से किया जाने वाला निवेश नौ साल के निचले स्तर के साथ 80,341 करोड़ रुपये पर आ गया है। यह आंकड़ा जुलाई अंत तक का है। यह ऐसे समय में हुआ है जब इन उपकरणों के दुरुपयोग की जांच के लिए वॉचडॉग सेबी ने कड़े मानदंडों को अपनाया है।
सेबी के डेटा के मुताबिक भारत के पूंजी बाजार में कुल पी-नोट्स निवेश की कुल वैल्यू- इक्विटी, डेट और डेरिवेटिव्स में जुलाई अंत तक सिकुड़कर 80,341 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया जो कि जून अंत तक 83,688 करोड़ रुपये रहा था। यह अप्रैल 2009 से अब तक का निचला स्तर है, जब इस तरह के समेकित निवेश की कुल वैल्यू 72,314 करोड़ रुपये थी।
क्या होते हैं पी नोट्स: पी-नोट्स को पार्टिसिपेट्री नोट्स भी कहा जाता है। विदेशी निवेशक सीधे तौर पर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने में सक्षम नहीं होते हैं इसलिए वह रजिस्टर्ड विदेशी ब्रोक्रेज हाउस का सहारा लेता है। निवेशकों को पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड विदेशी ब्रोक्रेज हाउस ही जारी करता है। पी-नोट्स को विदेशी निवेशकों के लिए शेयर बाजार में निवेश करने का दस्तावेज भी कहा जाता है।
क्या है पी नोट्स का फायदा: पी-नोट्स का इस्तेमाल हाई नेटवर्क इंडीविजुअल्स (एचएनआई), हेज फंडों और अन्य विदेशी संस्थानों के जरिए होता है। जो भी निवेशक सेबी के पास बिना रजिस्ट्रेशन करवाए शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहता हैं वो पी-नोट्स का इस्तेमाल करता है। निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार में पी-नोट्स के जरिए निवेश करने में ज्यादा सुविधा और फायदा जान पड़ता है। गौरतलब है कि सेबी ने साल 1992 में पी-नोट्स जारी करने की इजाजत दी थी।