आधार बेस्ड केवाईसी से बढ़ेगा म्युचुअल फंड में निवेश
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री ने सुधारों की पहली किस्त पेश की। सरकार इकोनॉमी की सुस्ती दूर करने के लिए कई तरह के सुधार कर रही है। वैसे तो सुधार इकोनॉमी के कई क्षेत्रों में किए जा रहे ह
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री ने सुधारों की पहली किस्त पेश की। सरकार इकोनॉमी की सुस्ती दूर करने के लिए कई तरह के सुधार कर रही है। वैसे तो सुधार इकोनॉमी के कई क्षेत्रों में किए जा रहे हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर पहले से अपेक्षित थे, और ऐसे कदम इक्विटी मार्केट के लिए असरदार हैं। अगर व्यापक तौर पर देखें तो इससे यह बात पुख्ता होती है कि आर्थिक समस्याएं अस्थाई हैं और ज्यादातर क्षेत्रों की समस्याएं हल कर ली जाएंगी। कुछ समस्याओं के लिए सीधी कार्रवाई की जरूरत होगी, कुछ क्रमिक तौर पर हल होंगी बाकी अपने आप दूर हो जाएंगी।
वित्त मंत्री ने जिन सुधारों की घोषणाएं की हैं, उनमें म्युचुअल फंड में निवेश के लिए आधार को केवाईसी का माध्यम स्वीकार किया जाना शामिल है। यह घोषणा सुखद और चौंकाने वाली है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। पहले आधार कार्ड इसके लिए वैध था, लेकिन बीते साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस पर रोक लग गई थी। इसी साल जुलाई में पास हुए नए आधार कानून के तहत यह फिर से प्रयोग हो सकेगा।
इस डिजिटल दौर में केवाईसी में आधार का प्रयोग महत्वपूर्ण होगा। इससे नए निवेशको की मार्केट तक पहुंच आसान होगी। नए दौर के निवेशको के लिए यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन पुराने निवेशक इसे बड़ा काम समझते हैं। उन्हें लगता है कि केवाईसी की प्रक्रिया में में दो-चार दिन लग जाना आम बात है। मैं काफी लंबे समय से मार्केट पर नजर रख रहा हूं, इस लिहाज से यह कह सकता हूं कि आसान शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण होती है। डॉक्यूमेंट को इकट्ठा करने और उसे ले जाकर जमा करने जैसे काम युवा और सही उम्र में निवेश शुरू करने वालों को नहीं भाते हैं। सच कहें, तो केवाईसी के जटिल नियम किसी को नहीं भाते। लेकिन पुराने जमाने के लोगों को इसकी आदत लगी हुई है, और टेक्नोलॉजी की पहुंच ने नए जमाने के लोगों को कई मामलों में अधीर बना दिया है।
एक युवा निवेशक एप डाउनलोड करता है या वेबसाइट खोलता है और निवेश शुरू करने के लिए मिनटों में जरूरी खानापूर्ति कर लेता है। इस तरह के किसी निवेशक के लिए पेपर वर्क चौंकाने वाला होगा। यह सब इतना जटिल होना आज के समय के अनुकूल नहीं होगा।
मुङो 1991 में आए मास्टरगेन के आइपीओ याद आते हैं। यह तब की यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के क्लोज एंडेड फंड थे। उस समय इसके लिए उम्मीद के विपरीत 65 लाख एप्लीकेशन पड़े थे। ये एप्लीकेशन पेपर आधारित थे। पहले लोग इसे खरीदने के लिए लाइनों में लगे फिर जमा करने के लिए भी लाइनें लगीं। उस वक्त बैंकिंग, चेक क्लियरिंग, रिकॉर्ड की¨पग स्टेटमेंट, यूनिट ट्रांसफर जैसे सारे काम पेपर पर होते थे। उस दौरान बड़ी संख्या में लोगों को सालभर परेशानियों से जूझना पड़ता था। कई बार रिकॉर्ड की¨पग में गलती होती, तो कभी हस्ताक्षर नहीं मिलते। कंप्यूटर की अहमियत उस दौर में स्वीकार की जाने लगी थी, लेकिन ये सभी प्रक्रियाएं कंप्यूटराइज्ड नहीं हुई थीं। उस दौर के मुकाबले आज के दौर की बात करें, तो ऑटो रिक्शा से लेकर खाना तक सब कम्प्यूटर नेटवर्क में व्यवस्थित हो चुका है। ऐसे में म्युचुअल फंड ऑफलाइन कैसे हो सकता है।
अगर हम तार्किक होकर बात करें तो म्युचुअल फंड के लिए आधार बेस्ड केवाईसी सिर्फ एक छोटा सा कदम है। एंटी-मनी लॉन्डरिंग कानून के तहत सभी एंटिटी अपने लिए केवाईसी का नियम लागू करते हैं, इसलिए आधार को हर तरह के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के लिए मान्य कर देना चाहिए। नए निवेशकों के पास आधार और नेट बैंकिंग वाले बैंक अकाउंट हैं, इसलिए वन-स्टेप आधार केवाईसी एक अच्छा विकल्प साबित होगा। इस तरह से एप या वेबसाइट की मदद से तेज और आसान निवेश संभव होगा। हालांकि इस समय सरकारी सुधारों के दौर में यह बहुत छोटा प्रयास कहा जा सकता है, लेकिन निवेशक के नजरिये से यह काफी महत्वपूर्ण है।
इकोनॉमी को गति देने के लिए सरकार ने कुछ नई घोषणाएं की हैं। इनमें म्युचुअल फंड में निवेश के लिए आधार को केवाईसी के रूप में मान्यता देना भी शामिल है। हालांकि यह नया नहीं है और पिछले वर्ष आधार के उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने से पहले भी केवाईसी में इस कार्ड का उपयोग होता रहा है। लेकिन नए और युवा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आधार का केवाईसी के रूप में उपयोग इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकि वर्तमान दौर के युवाओं के पास हर चीज उनकी एक क्लिक पर उपलब्ध है। ऐसे में निवेश शुरू करने में ज्यादा कागजी तैयारी उन्हें रास नहीं आएगी। अब आधार फिर से उपयोग में लाया जा सकेगा, तो निवेश शुरू करने में आसानी और व्यक्तिगत निवेश में बढ़ोतरी होगी।
(लेख धीरेंद्र कुमार, वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)