महंगा हो सकता है बीमा में निवेश
एजेंटों की किल्लत दूर करने के बहाने उनका कमीशन बढ़ाने की कोशिश आम निवेशकों के लिए महंगी साबित होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक इरडा ने बीमा बिल पर संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण के दौरान एजेंटों का कमीशन बढ़ाने की वकालत की है। यदि
नई दिल्ली। एजेंटों की किल्लत दूर करने के बहाने उनका कमीशन बढ़ाने की कोशिश आम निवेशकों के लिए महंगी साबित होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक इरडा ने बीमा बिल पर संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण के दौरान एजेंटों का कमीशन बढ़ाने की वकालत की है। यदि बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) का यह सुझाव मान लिया जाता है तो न केवल बीमा उत्पाद महंगे हो जाएंगे, बल्कि निवेशकों का मुनाफा भी कम हो जाएगा।
सितंबर, 2014 के आंकड़े के मुताबिक बीमा व्यवसाय से तकरीबन 21.5 लाख एजेंट जुड़े हैं। दिसंबर, 2010 में इनकी संख्या 27.1 लाख थी। एजेंटों की संख्या में यह कमी बीमा कंपनियों को खटक रही है। बीमा व्यवसाय में एजेंटों के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीमा पॉलिसी की नई बिक्री का करीब 50 फीसदी आम एजेंटों के जरिये आता है। इरडा का मानना है कि बीमा एजेंटों की संख्या में कमी की मूल वजह उनके कमीशन में कटौती रही है।
वर्ष 2010 से पूर्व यूलिप जैसे बीमा उत्पादों पर 80 से 100 फीसद तक का कमीशन मिलता था। तत्कालीन सेबी चेयरमैन सीबी भावे के हस्तक्षेप से इसे 40 फीसद पर सीमित कर दिया गया था। एजेंटों की बीमा व्यवसाय में महत्ता और उनकी घटती संख्या का हवाला देते हुए इरडा ने कहा है कि उनके कमीशन की कोई उच्चतम सीमा तय नहीं की जाए। साथ ही, इसे तय करने का अधिकार बीमा कंपनियों को दे दिया जाए।
इरडा के इस कदम से म्यूचुअल फंड उद्योग सकते में है। पूंजी बाजार नियामक सेबी और म्यूचुअल फंडों का संगठन एम्फी कमीशन को बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। वहीं, इरडा के सुझाव को जायज ठहराते हुए जीवन बीमा परिषद के महासचिव वी मणिकम कहते हैं कि बीमा उद्योग एजेंटों से ही चल रहा है। इन एजेंटों के लिए एक से अधिक बीमा कंपनियों की पॉलिसी बेचने पर भी प्रतिबंध है। इसलिए कमीशन की रकम 40 फीसद तक सीमित कर देना ठीक नहीं होगा।
इसके उलट निवेश सलाहकार मौसम बनर्जी उनकी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखतीं। उनके मुताबिक बीमा कंपनियों की सोच ही गलत है। कमीशन में वृद्धि कर उत्पाद बेचने की कसरत के बजाय रिटर्न बढ़ाकर निवेशकों को प्रभावित करना चाहिए। कमीशन बढ़ने से उत्पाद महंगे हो जाएंगे। निवेशकों को मिलने वाला रिटर्न प्रभावित होगा। दूरगामी सोच के लिहाज से यह मार्केटिंग रणनीति सही नहीं है।