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होम लोन का ऐसे करवाएं इंश्‍योरेंस, लोन लेने वाले के न रहने पर परिवार को नहीं होगी परेशानी

होम लोन लंबे पीरियड के लिए होते हैं और ये दशकों में जाकर पूरे होते हैं। अगर ऐसी स्थिति में घर का मुखिया नहीं रहता है और बाकि घरवाले उस स्थिति में पैसा चुकाने लायक नहीं होते हैं।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 05:30 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 09:13 AM (IST)
होम लोन का ऐसे करवाएं इंश्‍योरेंस, लोन लेने वाले के न रहने पर परिवार को नहीं होगी परेशानी
होम लोन का ऐसे करवाएं इंश्‍योरेंस, लोन लेने वाले के न रहने पर परिवार को नहीं होगी परेशानी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आज के समय में लगभग हर चीज के लिए इंश्योरेंस लिया जा सकता है। इसका फायदा यह होता है कि आपकी किसी भी कीमती चीज के आर्थिक नुकसान की भरपाई हो जाती है। आज हम होम लोन के लिए इंश्योरेंस लेने की बात कर रहे हैं। सभी जानते हैं कि होम लोन लंबे पीरियड के लिए होते हैं और ये दशकों में जाकर पूरे होते हैं। अगर ऐसी स्थिति में घर का मुखिया (जिस पर सारी आर्थिक जिम्‍मेदारी होती है) नहीं रहता है और बाकि घरवाले उस स्थिति में पैसा चुकाने लायक नहीं होते हैं तो उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना एक साथ करना पड़ सकता है।

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इसके लिए सीधा उपाए टर्म इंश्योरेंस है। जब भी किसी के पास होम लोन हो तो उसे न सिर्फ एक टर्म पॉलिसी लेनी चाहिए, बल्कि होम लोन के री-पेमेंट अमाउंट को उस अमाउंट में शामिल करना चाहिए। मान लीजिए कि एक 35 वर्षीय पुरुष 25 साल के लिए 40 लाख रुपये का लाइफ कवर लेता है तो उसे 800 रुपये प्रति माह के हिसाब से प्रीमियम देना होता है। इंश्योरेंस प्रीमियम को होम लोन ईएमआई में जोड़कर ही मान लेना चाहिए। मान लीजिए आपके होम लोन की ईएमआई 36,000 रुपये प्रति माह है। इसमें 800 रुपये अधिक जोड़ लीजिए और टोटल ईएमआई 36,800 रुपये हो जाएगी।

इसके अलावा लोन लेने वालों को कभी-कभी यह सलाह भी दी जाती है वह होम लोन का इंश्‍योरेंस करवाता चले। यह एक खास तरह की होम लोन री-पेमेंट इंश्योरेंस पॉलिसी है, जिसे विशेष रूप से इसी के लिए तैयार किया गया है। यह सामान्य टर्म प्लान की तरह काम करती है और कवर को कम करके अन्य लाभों के साथ काम करती है। इसमें लाइफ कवर शामिल नहीं रहता है। यह होम लोन के साथ जुड़ जाती है और मंथली बेस पर बाकी बचा मूल अमाउंट कम होता रहता है। जब आप इसकी कीमत और जानकारी के बारे में गणना करते हैं तो रेगुलर टर्म इंश्योरेंस इससे बेहतर साबित होता है।

जब आप होम लोन की सेफ्टी के लिए टर्म इंश्योरेंस लेते हैं तो आपको कुछ ऐसा करना चाहिए। आपने जहां से लोन लिया है उस बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी को अपना टर्म इंश्‍योरेंस असाइन करना होगा। असाइनमेंट का मतलब है कि अगर पॉलिसीधारक के साथ कोई दुर्घटना होती है तो पॉलिसी की पेमेंट उसे जाएगी जिसे यह असाइन किया जाएगा। मतलब लोन की पेमेंट सीधे इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से कर्जदाता को की जाएगी।

अगर होम लोन की री-पेमेंट सामान्य रूप से की जाती है तो असाइनमेंट को समाप्त किया जा सकता है और बाकी बचे समय के लिए लोन की पेमेंट बाकि घर के सदस्यों की तरफ से की जाती है। आपको एक अन्य सर्विस के बारे में पता होना चाहिए कि टर्म इंश्योरेंस में एक सुविधा हो सकती है, जिसके तहत लोन की री-पेमेंट ईएमआई में की जा सकती है और एक साथ मोटी रकम नहीं चुकानी होगी। इंश्योरेंस लेते वक्त यह ध्यान रखें कि आपने जितनी अवधि के लिए होम लोन लिया है उससे अधिक समय के लिए टर्म इंश्योरेंस की पॉलिसी है या नहीं।  

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