डायबिटीज पीड़ितों के लिए बीमा कवर इसलिए है जरूरी
डायबिटीज भले ही कैंसर की तरह खतरनाक नहीं है। लेकिन इससे हार्ट, किडनी आंख, नव्र्स आदि से संबंधित कई बीमारियां जन्म लेती हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। डायबिटीज भले ही कैंसर की तरह खतरनाक नहीं है। लेकिन इससे हार्ट, किडनी आंख, नव्र्स आदि से संबंधित कई बीमारियां जन्म लेती हैं। इसलिए सवाल यह है कि क्या आप तैयार हैं? बढ़ते मामलों और दावों के मद्देनजर, बीमा आपका सबसे अच्छा साथी हो सकता है जो डायबिटीज के कारण सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों को पूरा कर सके।
जल्दी खरीदें कवर : डायबिटीज पीड़ित अधिकांश लोगों की आयु वर्तमान में 20 से 60 साल के बीच है। यही वह उम्र होती है जब इंसान अपने परिवार को चलाने के लिए कमाई करता है। इसका मतलब हुआ कि इस रोग के पीड़ित का पूरा परिवार आर्थिक दिक्कत में आ जाता है। इसलिए, डायबिटीज से ग्रस्त होने वाले मरीज को शुरुआती अवस्था में बीमा लेने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज दो तरह की होती है। अस्वस्थ और नजरंदाज जीवनशैली के 30-80 साल के वयस्क डायबिटीज टाइप-2 की चपेट में आते हैं। टाइप-1 आनुवंशिक विकार है। हालिया ट्रेंड्स बताते हैं कि भारत में लगभग एक लाख टाइप-1 डायबिटिक बच्चे (0-18 साल) हैं। यह एक ऑटो-इम्यून बीमारी है। इसकी चपेट में आए बच्चों को नियमित तौर पर इंसुलिन के कष्टकारक इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए ऐसा प्लान लेने की सलाह दी जाती है, जो दोनों प्रकार की डायबिटीज को बीमा कवर मुहैया कराते हों।
क्या आपका इंश्योरेंस प्लान पहले दिन से कवरेज देता है?
अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में आमतौर पर 2-5 साल का वेटिंग पीरियड होता है। आपको सलाह दी जाती है कि रोग विशिष्ट योजना खरीदते समय बिना वेटिंग पीरियड वाली पॉलिसी लेनी चाहिए।
डायबिटीज ऐसी स्थिति है जिस पर नियमित नजर रखनी पड़ती है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा खरीदी गई पॉलिसी महज बीमा योजना नहीं हो, बल्कि अन्य सुविधाएं भी देती हो। हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत रिस्टोर की सुविधा भी आती है। यदि आपका सम इंश्योर्ड बीमारी का इलाज कराने में खत्म हो जाता है तो बीमा कंपनी आपका सम इंश्योर्ड रिस्टोर कर देती है। ऐसी स्थिति में, सम इंश्योर्ड रिस्टोरेशन परिवार के लिए काफी मदद वाला साबित होता है।