Move to Jagran APP

जेब पर भारी पड़ेगी गर्मी, लंबे समय तक उच्च तापमान से बढ़ सकती है महंगाई: मूडीज

भारत में इस साल गर्मी ने पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के अनुसार अगर इसी तरह लंबे समय तक ज्यादा गर्मी पड़ती रही तो इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा। उच्च तापमान से महंगाई भी बढ़ सकती है।

By Sarveshwar PathakEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 03:17 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 03:29 PM (IST)
जेब पर भारी पड़ेगी गर्मी, लंबे समय तक उच्च तापमान से बढ़ सकती है महंगाई: मूडीज
लंबे समय तक उच्च तापमान से बढ़ सकती है महंगाई

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत में इस साल गर्मी ने 122 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पर्यावरण के साथ-साथ इसका असर अब व्यक्तियों की जेब पर भी पड़ने वाला है। जी हां, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के अनुसार भारत के लिए लंबे समय तक उच्च तापमान का बना रहना बहुत घातक साबित हो सकता है। इससे महंगाई बढ़ सकती है और विकास प्रभावित हो सकता है। भारत में लंबे समय तक और ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण देश के लोगों को जलवायु परिवर्तन के साथ ही अब महंगाई की मार भी झेलनी पड़ सकती है।

loksabha election banner

मई में पांचवीं हीटवेव
मूडीज के मुताबिक गर्मी के कारण तापमान बढ़ता जा रहा है और इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि भारत में गर्मी की लहरें काफी आम हैं, लेकिन वे आमतौर पर मई और जून में होती हैं। हालांकि, इस साल नई दिल्ली में मई में पांचवीं हीटवेव देखी गई, जिसमें अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस को छू गया।

गेहूं उत्पादन और बिजली कटौती पर होगा सीधा असर

मूडीज ने कहा कि लंबे समय तक उच्च तापमान देश के उत्तर-पश्चिम के अधिकांश हिस्से को प्रभावित कर रहा है। इसका बुरा असर गेहूं के उत्पादन पर सीधा पड़ेगा। इसके अलावा यह बिजली की कटौती का कारण भी बन सकता है, जो पहले से ही लोगों की जेब के बोझ को बढ़ा रहा है और ग्रोथ को प्रभावित कर रहा है। गौरतलब है कि उच्च तापमान के बीच कम पैदावार को देखते हुए भारत सरकार ने जून 2022 को समाप्त होने वाले फसल वर्ष के लिए गेहूं उत्पादन के अपने अनुमान को 5.4 प्रतिशत से घटाकर 105 मिलियन टन कर दिया है।

गेहूं निर्यात में बढ़ोतरी से बढ़ सकती है महंगाई

भारत में गेहूं का कम उत्पादन और ग्लोबल मार्केट में गेहूं की कीमतों को भुनाने के लिए निर्यात में बढ़ोतरी देश में महंगाई बढ़ा सकती है। इसने सरकार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और इसे स्थानीय खपत की ओर मोड़ने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि, यह कदम आंशिक रूप से इन्फ्लेशन के दबाव को दूर करेगा। यह निर्यात और बाद में विकास को नुकसान पहुंचाएगा।

गेहूं की कीमतों में 47 फीसदी की बढ़ोतरी
फरवरी में रूस-चीन युद्ध शुरू होने के बाद से वैश्विक गेहूं की कीमतों में 47 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एजेंसी ने कहा कि प्रतिबंध के कारण भारत के निर्यात भागीदारों को गेहूं की कीमतों में और उछाल का सामना करना पड़ सकता है। इनमें बांग्लादेश शामिल है, जिसने वित्त वर्ष 2021 में भारत के गेहूं के निर्यात का 56.8 प्रतिशत, श्रीलंका (8.3 प्रतिशत), संयुक्त अरब अमीरात (6.5 प्रतिशत) और इंडोनेशिया (5.4 प्रतिशत) को अवशोषित किया।

बिजली कटौती से उत्पादन पर पड़ेगा बुरा असर

मूडीज ने यह भी कहा कि कोयले की सूची में और गिरावट से औद्योगिक और कृषि उत्पादन में लंबे समय तक बिजली की कटौती हो सकती है, जिससे उत्पादन में महत्वपूर्ण गिरावट हो सकती है। इसका असर भारत के आर्थिक विकास पर पड़ सकता है, खासकर अगर हीटवेव जून के बाद भी जारी रहती है। 

सब्जियों और तेल के दाम बढ़े

मूडीज ने कहा कि भारत की खपत में आम तौर पर अनाज और भोजन की प्रमुखता को देखते हुए उच्च खाद्य कीमतें महंगाई को बढ़ा सकती हैं। ईंधन से लेकर सब्जियों और खाना पकाने के तेल तक सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने थोक मूल्य महंगाई को अप्रैल में 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर कर दिया है। रिटेल इन्फ्लेशन लगभग आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है। उच्च इन्फ्लेशन ने रिजर्व बैंक को इस महीने की शुरुआत में बेंचमार्क ब्याज दर को बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने के लिए एक अनिर्धारित बैठक आयोजित करने के लिए प्रेरित किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.