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इकोनॉमी में सुधार के सरकार के प्रयासों को लेकर आश्वस्त है इंडस्ट्री

वित्त मंत्री ने बेहद स्पष्ट शब्दों में इस बात का ऐलान किया कि 31 मार्च 2020 तक रजिस्टर होने वाले सभी बीएस 4 वाहन अपनी रजिस्ट्रेशन अवधि पूरा होने तक सड़कों पर चलने के लिए वैध रहेंगे

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 10:34 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 10:34 AM (IST)
इकोनॉमी में सुधार के सरकार के प्रयासों को लेकर आश्वस्त है इंडस्ट्री
इकोनॉमी में सुधार के सरकार के प्रयासों को लेकर आश्वस्त है इंडस्ट्री

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सुस्त होती इकोनॉमी को दुरुस्त करने के सरकार के प्रयासों को इंडस्ट्री ने सकारात्मक नजरिये से लिया है। बीते दस दिन में सरकार की तरफ से हुए उपायों की घोषणाओं ने न केवल ऑटो इंडस्ट्री को राहत पहुंचाई है बल्कि समूचे उद्योग जगत में इस बात का भरोसा जगा है कि सरकार मौजूदा स्थिति से निपटने को लेकर गंभीर है। इकोनॉमी को लेकर सरकार लगातार इंडस्ट्री के संपर्क में रही है और यही वजह है कि वह इसके निदान के उपाय तुरंत कर पायी। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की राय भी यही है कि सरकार ने एक्शन लेने में बेहद तत्परता दिखायी है।

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ऑटो इंडस्ट्री की सबसे बड़ी दिक्कत बीएस 4 वाहनों को लेकर थी। अप्रैल 2020 से बीएस 6 उत्सर्जन मानक देश में लागू हो जाएंगे। जबकि ऑटो सेक्टर में तकरीबन सभी कंपनियों के पास बीएस 4 वाहनों की इनवेंट्री थी। ऐसे में ग्राहकों में यह भ्रम बन गया था कि अप्रैल 2020 के बाद ये वाहन नहीं चलेंगे। इसलिए लोगों ने इन वाहनों की खरीद की रफ्तार धीमी होती गई। जुलाई में तो बिक्री में वृद्धि की दर 19 साल के न्यूनतम पर पहुंच गयी। लेकिन बीते 23 अगस्त को सरकार ने खुद पहल कर इस भ्रम को दूर किया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेहद स्पष्ट शब्दों में इस बात का ऐलान किया कि 31 मार्च 2020 तक रजिस्टर होने वाले सभी बीएस 4 वाहन अपनी रजिस्ट्रेशन अवधि पूरा होने तक सड़कों पर चलाने के लिए मान्य होंगे। गौरतलब है कि जून 2019 तक ऑटो इंडस्ट्री में करीब 35000 करोड़ रुपये की कीमत के लाखों पैसेंजर व्हीकल की इनवेंट्री पड़ी थी। दूसरी तरफ सरकार ने नये पेट्रोल डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन की कीमत में वृद्धि के प्रस्ताव को भी वापिस ले लिया है। रजिस्ट्रेशन के शुल्क को 600 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये करने का प्रस्ताव था। वित्त मंत्री ने इस प्रस्ताव को भी फिलहाल जून 2020 तक स्थगित करने का ऐलान किया था।

सरकार के इन निर्णयों को ऑटो उद्योग के प्रतिनिधियों ने सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम बताया है। सुपर लक्जरी सेगमेंट में मौजूद लैमबॉर्गिनी के इंडिया हेड शरद अग्रवाल ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा सरकार ने स्थितियों को भांप तुरंत प्रभाव से एक्शन लिया है। शरद ने कहा, 'यह अच्छी बात है कि सरकार इंडस्ट्री को सुन रही है और उनकी दिक्कतों को समझ कर उन पर एक्शन ले रही है।' ऑटो उद्योग की समस्याओं को सुनने के बाद सरकार ने सभी वाहनों पर डेप्रिसिएशन की दर को भी 15 परसेंट से बढ़ाकर 30 परसेंट कर दिया है। इतना ही नहीं सरकार ने दो पहिया और तिपहिया वाहनों के मामले में इलेक्ट्रिक व्हीकल की अनिवार्यता को लेकर बने भ्रम को भी दूर कर दिया है।

सीतारमण यह भी स्पष्ट कर चुकी हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ साथ पेट्रोल डीजल चालित वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी होता रहेगा। ऑटो सेक्टर के साथ-साथ सरकार ने अन्य क्षेत्रों के लिए काफी रियायतें दीं। मसलन निवेशकों के केपिटल गेन्स पर लगे सरचार्ज को वापस ले लिया गया। साथ ही वित्तीय बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए न केवल बैंकों में 70000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का ऐलान किया बल्कि एनबीएफसी के लिए भी लिक्विडिटी आसान करने के उपाय करने की घोषणा की।

अग्रवाल कहते हैं, 'अपने बजट प्रस्तावों को वापस लेना सरकार के साहस भरे फैसले के तौर पर देखा जाना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब सामान्य से थोड़ा तेज रफ्तार से इकोनॉमी में स्थितियां बदलेंगी।' फिक्की के प्रेसिडेंट संदीप सोमानी भी मानते हैं कि सरकार की इन घोषणाओं से स्पष्ट है कि वह विकास की गति बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाने को तत्पर है। पिछले सप्ताह जारी अपने एक बयान में उन्होंने स्वीकारा, 'व्यापक उपायों और सेक्टर स्पेसिफिक घोषणाओं के मिले जुले प्रयासों से हमें उम्मीद है कि इकोनॉमी और इंडस्ट्री जल्दी ही इस कमजोरी से उभरेंगे।


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