Move to Jagran APP

उद्योग जगत और सरकार को है 50 आधार अंकों तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद

उद्योग जगत और सरकार को उम्मीद है कि गुरुवार को आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ब्याज दरों में 50 आधार अंकों तक की कटौती करेंगे।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 10:04 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 10:04 AM (IST)
उद्योग जगत और सरकार को है 50 आधार अंकों तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद
उद्योग जगत और सरकार को है 50 आधार अंकों तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश में मौद्रिक नीति तय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की समिति की सोमवार को मुंबई में बैठक शुरू हो गई है। जनवरी-मार्च, 2019 तिमाही के आर्थिक विकास दर आंकड़े आने के बाद इस पहली मौद्रिक नीति से उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए कुछ उपायों का एलान होगा। देश की आर्थिक विकास दर पिछली पांच तिमाहियों से लगातार गिर रही है।

loksabha election banner

ऐसे में उद्योग जगत और सरकार को उम्मीद है कि गुरुवार को आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ब्याज दरों में 50 आधार अंकों तक की कटौती करेंगे। इसके साथ ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) आरबीआइ की तरफ से फंसे कर्जे (एनपीए) के नए नियमों पर रोक लगाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में भी कुछ एलान करने की तैयारी में है। छोटे व मझोले उद्योगों की फंड की समस्या को दूर करने के लिए भी आरबीआइ कई उपायों पर विचार कर रहा है।पिछले हफ्ते सरकार आए कुछ सरकारी आंकड़ों के बाद रेपो रेट में कटौती की उम्मीद बढ़ी है।

आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च, 2019 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 5.8 फीसद रही थी। उद्योग संगठन फिक्की और सीआइआइ ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को बेहद गंभीर बताया है और इसमें तेजी लाने के लिए सस्ते और पर्याप्त कर्ज को सबसे बड़ी जरूरत बताई है।

उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में नरमी की वजह से भी रेपो रेट की उम्मीद की जा रही है। इस वर्ष अप्रैल में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई की औसत दर के तीन फीसद से नीचे रहने की उम्मीद लगाई थी। उसके बाद से क्रूड की कीमतों और कम हुई हैं। साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत भी स्थिर बनी हुई है। महंगाई की दर के नीचे रहने की स्थिति में आरबीआइ के लिए ब्याज दरों को घटाना आसान रहता है।

आरबीआइ ने अप्रैल के पहले सप्ताह में मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। उसके पहले की समीक्षा (फरवरी, 2019) में भी आरबीआइ रेपो रेट में इतनी ही कटौती कर चुका था। इस तरह से पिछले चार महीनों में रेपो रेट में 50 आधार अंकों (0.50 फीसद) की कमी हो चुकी है। हालांकि इसका असर बैंकों की कर्ज की दरों पर बहुत नहीं पड़ा है। कई बैंकों ने होम लोन और ऑटो लोन की दरों में कमी भी नहीं की है। कुछ बैंकों ने बमुश्किल 0.20-0.25 फीसद की कटौती की है। माना जा रहा है कि आरबीआइ अब रेपो रेट में जो कमी करेगी उसका सीधा असर ब्याज दरों पर दिखाई दे सकता है।

क्या है रेपो रेट :

देश के बैंक आरबीआइ से जिस दर पर अल्पकालिक कर्ज लेते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट घटने का मतलब यह है कि बैंक कर्ज के रूप में आरबीआइ से ज्यादा रकम की मांग करने में सक्षम हो जाते हैं। इससे बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ता है और उद्योग-धंधों को सस्ती दरों पर कर्ज मिलने की राह आसान होती है। रेपो रेट घटने से बैंकों के पास कर्ज बांटने के लिए पूंजी बढ़ जाती है तो वे ब्याज दरों में भी कटौती के बारे में सोचते हैं।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.