घूमने लगे उद्योगों के पहिये; कई कंपनियों में काम हुआ शुरू, मजदूरों को रोकने में जुटे कारोबारी
मध्यप्रदेश में श्रम कानूनों में संशोधन के साथ सरकार ने औद्योगिक इकाइयों में काम नहीं तो वेतन नहीं का फॉर्मूला भी लागू कर दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना के चलते बेशक देश में लॉकडाउन-3 शुरू हो गया हो। लेकिन कुछ नियम और शर्तो के साथ उद्योगों के पहिये भी घूमने शुरू हो गए हैं। यही कारण है कि कारोबारी सरकार से मजदूरों को वापस न भेजने की मांग कर रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली में रह रहे कुछ मजदूरों ने कहा कि गांव जाकर काम नहीं मिलेगा तो वहां जाकर भी क्या करेंगे। उम्मीद है जल्द हालात सुधरेंगे और काम मिलने लगेगा। दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में आज से कई जगहों पर काम शुरू होगा। इससे उम्मीद जगह है कि यहां रह रहे मजदूरों को काम मिलने लगेगा और आर्थिक व्यवस्था पटरी पर लौटने लगेगी। वहीं, रैन बसेरों में रह रहे तमाम लोगों ने कहा कि गांव जाकर क्या करेंगे, वहां रोजगार तो मिलेगा नहीं। जबकि यहां खाना और रहने की जगह दोनों हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द हालात सुधरेंगे और काम मिल जाएगा।
पंजाब-हरियाण में काम शुरू, सरकार पर दबाव बढ़ा
पंजाब में ट्रैक्टर बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी सोनालिका ने उत्पादन फिर से शुरू कर दिया है। सोनालिका प्रबंधन ने इसके लिए पूरे प्रबंध किए और नियोजित तरीके से उद्योग में उत्पादन शुरू कर दिया है। प्रबंधन ने दूसरे राज्यों की सरकारों बात कर अपने कर्मचारियों को वापस भेजने के लिए बातचीत की है और उसके प्रबंध भी किए हैं। सोनालिका के पास इस वक्त एक हजार से अधिक कर्मचारी हैं। ऐसे में पंजाब सरकार पर भी श्रमिकों को रोकने का दबाव बढ़ रहा है। क्योंकि अगर मजदूर लौट गए तो उद्योगों को खोलने का भी क्या फायदा होगा। वहीं, हरियाणा में भी काम शुरू हो गया है। नियमों के तहत श्रमिक मास्क पहनकर काम भी कर रहे हैं।
मप्र में 'काम नहीं तो वेतन नहीं', छत्तीसगढ़ में भी काम शुरू
मध्यप्रदेश में श्रम कानूनों में संशोधन के साथ सरकार ने औद्योगिक इकाइयों में 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का फॉर्मूला भी लागू कर दिया है। कोरोना संकट के दौरान श्रमिकों के आर्थिक हितों पर कोई प्रभाव न पड़े, इसके लिए इकाई के बंद होने के बावजूद श्रमिकों को बिना कटौती वेतन देने के निर्देश दिए थे। कई माध्यमों से सरकार को यह सूचनाएं मिली कि जो इकाइयां चालू हैं उनमें श्रमिक बुलाने पर भी काम करने के लिए नहीं आ रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए श्रम विभाग ने आदेश दिया है कि उद्यमी स्वेच्छा से काम पर नहीं आने वाले श्रमिकों को वेतन देने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी उद्योगों को सरकार की ओर से विशेष छूट दी गई हैं।