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इंडसइंड बैंक खरीदेगा आरबीएस का हीरे-जवाहरात का कारोबार

इंडसइंड बैंक लिमिटेड ने कहा है कि वह भारत में रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के हीरा एवं आभूषण फाइनैंसिंग कारोबार और उससे संबंधित जमा पोर्टफोलियो का अधिग्रहण करेगा। इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रोमेश सोबती ने कहा, 'यह अधिग्रहण हमारी उस रणनीति के बिल्कुल अनुरूप होगा जिसके

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2015 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2015 08:34 PM (IST)
इंडसइंड बैंक खरीदेगा आरबीएस का हीरे-जवाहरात का कारोबार

मुंबई। इंडसइंड बैंक लिमिटेड ने कहा है कि वह भारत में रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के हीरा एवं आभूषण फाइनैंसिंग कारोबार और उससे संबंधित जमा पोर्टफोलियो का अधिग्रहण करेगा।

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इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रोमेश सोबती ने कहा, 'यह अधिग्रहण हमारी उस रणनीति के बिल्कुल अनुरूप होगा जिसके तहत चुनिंदा कारोबारी क्षेत्रों में लाभप्रदता बढ़ाने की योजना बनाई गई है। साथ ही हमें खुशी है कि हमने हीरा और आभूषण फाइनैंसिंग कारोबार में सबसे पुराने बैंकों में से एक एबीएन एमरो बैंक के साथ साझेदारी करार किया है। वैश्विक स्तर पर इस उद्योग में ग्राहकों के साथ गहरा संबंध स्थापित करने में यह साझेदारी दोनों संगठनों के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ साबित होगी।'

भारत में रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के हीरा एवं आभूषण कारोबार का आकार करीब 4,500 करोड़ रुपये है। भारतीय बैंक ने कहा है कि इस कारोबार में शामिल रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के कर्मचारी भी इंडसइंड बैंक में शामिल हो जाएंगे। बैंक ने कहा है कि जब तक इंडसइंड बैंक को ऋण का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया जाता तब तक ऋण पोर्टफोलियो का दैनिक प्रबंधन रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के पास ही रहेगा। बैंक ने एक बयान में कहा, 'इंडसइंड बैंक को हीरा एवं आभूषण फाइनैंसिंग कारोबार में विशेषज्ञता प्राप्त है और इस अधिग्रहण से उसकी स्थिति और मजबूत होगी।' इंडसइंड बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन के कुछ सदस्य रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के इस प्रोर्टफोलियो से जुड़ जाएंगे और उसके बाद वे एबीएन एमरो बैंक से जुड़ेंगे।

बैंक ने यह भी कहा है कि हीरा फाइनैंसिंग कारोबार में सफलता के लिए वैश्विक ग्राहकों की समझ काफी महत्त्वपूर्ण होता है और एबीएन एमरो बैंक के साथ लंबी अवधि की साझेदारी के जरिये इसे हासिल किया जाएगा। इस रणनीतिक साझेदारी के जरिये उद्योग और ग्राहकों के बीच पैठ बनाने और सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे राजस्व के लिए बेहतर संभावनाएं भी मिलेंगी और जोखिम का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।

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