अप्रत्यक्ष कर की घोषणाएं अब नहीं होंगी बजट में
अब बजट में अप्रत्यक्ष कर की घोषणाएं नहीं होंगी। जीएसटी काउंसिल सभी तरह के उत्पादों पर करों का फैसला लेगी। - समीक्षा का अंतराल भी काउंसिल के गठन के साथ ही होगा तय
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में जीएसटी लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष करों में बदलाव के लिए बजट में घोषणा की आवश्यकता नहीं रहेगी। दरें तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास आने से उद्योगों के लिए बजट का इंतजार खत्म हो जाएगा। हालांकि अभी यह तय होना बाकी है कि जीएसटी काउंसिल की तरफ से दरों की समीक्षा का काम कितनी अवधि बाद होगा।
करों पर काउंसिल को सर्वाधिकार
संसद से पारित संविधान संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक जीएसटी काउंसिल का गठन किया जाएगा। इसी काउंसिल पर जीएसटी की दरों और कर योग्य उत्पादों की सूची तैयार करने की जिम्मेदारी होगी। भविष्य में भी कब कौन सा उत्पाद जीएसटी के दायरे में शामिल होगा और परिस्थितियों के मुताबिक कब कौन बाहर होगा, इसका फैसला भी यही काउंसिल करेगी।
बजट में नहीं होंगी घोषणाएं
अभी यह काम वित्त मंत्रालय बजट के जरिये करता है। किसी उत्पाद पर उत्पाद शुल्क अथवा सीमा शुल्क लगाने के लिए आम तौर पर बजट में कदम उठाए जाते हैं। हालांकि वर्ष के बीच में जरूरत के मुताबिक कुछ उत्पादों पर ड्यूटी घटाने व बढ़ाने का काम सरकार करती है। लेकिन बजट में एक प्रकार से विभिन्न करों की दरों की समीक्षा का काम होता है। लेकिन अब जीएसटी आने के बाद यह स्थिति नहीं रहेगी। माना जा रहा है कि एक प्रकार से वित्त मंत्री के बजट भाषण का दूसरा भाग जीएसटी के आने के बाद अप्रासंगिक हो जाएगा। इसमें केवल प्रत्यक्ष करों के बारे में घोषणाएं बाकी रह जाएंगी।
काउंसिल में राज्यों की भागीदारी
जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी दरों में बदलाव की क्या प्रक्रिया अपनायी जाएगी, यह खुद काउंसिल को ही तय करना है। इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री होंगे और केंद्र से वित्त मंत्री समेत दो प्रतिनिधि होंगे। अगले साल अप्रैल से पहले ही इस काउंसिल को जीएसटी के दायरे में आने वाले उत्पादों और सेवाओं की सूची तैयार कर लेनी होगी। साथ ही इन उत्पादों पर जीएसटी की क्या दर लागू होगी और अधिकतम दर क्या होगी, इस पर भी फैसला लेना होगा।
सेस भी केंद्र के हाथ में नहीं
जीएसटी के अमल में आने के बाद सेस लगाए जाएंगे या नहीं, इसका फैसला केंद्र सरकार नहीं बल्कि जीएसटी काउंसिल करेगी। इसी तरह जीएसटी के लागू होने के बाद सरकार को अगर सेस लगाने की जरूरत पड़ती है तो इसका फैसला केंद्र सरकार खुद नहीं ले पाएगी बल्कि जीएसटी काउंसिल के पास ही इसका अधिकार होगा। काउंसिल की सहमति के बिना कोई नया सेस लागू नहीं किया जा सकेगा। हालांकि सेस किसी विशेष प्रयोजन से लागू किया जाता है, ऐसे में भविष्य में अगर कोई ऐसी विशिष्ट आवश्यकता खड़ी होती है तो जीएसटी काउंसिल यह फैसला करेगी।