बैड लोन संकट: मुश्किल घड़ी में सरकारी बैंकों में खाली हो रहे हैं प्रमुखों के पद
इस साल की शुरुआत से ही आंध्रा बैंक, देना बैंक, देना बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक के पास कोई भी सीईओ नहीं है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश के सरकारी बैंकों में उस वक्त प्रमुखों का पद खाली हो रहा है जब उन्हें उच्च पद पर एक बेहतर अधिकारी की सबसे ज्यादा जरूरत है। यह जानकारी एक रिपोर्ट के जरिए सामने आई है। देश के 21 प्रमुख सरकारी बैंकों में से 4 बैंकों को अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के उत्तराधिकारियों को खोजना है। वहीं कुछ ऐसे सीईओ भी हैं जिन्हें फ्रॉड मामलों के चलते अपना पद छोड़ना पड़ रहा है।
आने वाले कुछ महीनों में नौ और बैंक अपने मुख्य कार्यकारियों को खो देंगे। यह सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है, जब बढ़ता हुआ खराब ऋण एवं फाइनेंशियल सेक्टर में तेजी से सामने आ रही भ्रष्टाचार की घटनाओं ने इस क्षेत्र में नौकरियों को पहले की तुलना मे कम आकर्षक बना दिया है।
एसआरईआई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड, एक नॉन-बैंकिंग कंपनी जो कि भारत में आधारभूत संरचना परियोजनाओं को उधार देती है के चेयरमैन हेमंत कनोरिया ने कहा है कि इस भयपूर्ण वातावरण के बीच इन सरकारी बैंकों में से कईयों का नेतृत्व करने के लिए शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित करना कठिन हो गया है।
क्या है स्थिति: इस साल की शुरुआत से ही आंध्रा बैंक, देना बैंक, देना बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक के पास कोई भी सीईओ नहीं है, जबकि आईडीबीआई बैंक लिमिटेड जिसका बैड लोन अनुपात अन्य बैंकों के मुकाबले सबसे ज्यादा है के मुखिया को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया है। इलाहाबाद बैंक के पास भी फिलहाल कोई सीईओ नहीं है, क्योंकि ऊषा अनंथ सुब्रमण्यम से सारे प्रशासकीय अधिकारी बैंक बोर्ड की ओर से ले लिए गए हैं। गौरतलब है कि देश का बैंकिंग सेक्टर बीते कुछ सालों से ही मुश्किलों से जूझ रहा है।