सिर्फ पांच फीसद रहेगी विकास दर
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद लगाए बैठी सरकार को अर्थव्यवस्था के ताजा अनुमानों ने तगड़ा झटका दे दिया है। धीमी विकास दर की आशंकाओं के बीच 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीप] दर के पिछले एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के आसार हैं। इस दौरान विकास दर पांच फीसद पर सिमटने की आशंक
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद लगाए बैठी सरकार को अर्थव्यवस्था के ताजा अनुमानों ने तगड़ा झटका दे दिया है। धीमी विकास दर की आशंकाओं के बीच 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीप] दर के पिछले एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के आसार हैं। इस दौरान विकास दर पांच फीसद पर सिमटने की आशंका है।
सरकार के सांख्यिकी विभाग ने आर्थिक विकास का जो अनुमान लगाया है वह वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक समेत सभी विभागों और एजेंसियों के अनुमान से कम है। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की तस्वीर मुख्यत: कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में तेज गिरावट की वजह से बिगड़ी है। पिछले साल विकास दर 6.2 फीसद रही थी। इसलिए चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में सरकार ने सात फीसद विकास दर का अनुमान लगाया था। मगर अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते अनुमान में लगातार कमी की जाती रही। अंतत: 28 जनवरी को रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के वक्त विकास दर का लक्ष्य 5.5 फीसद कर दिया।
इससे पहले 2002-03 में जीडीपी की दर सबसे कम चार फीसद रही थी। उसके बाद से यह लगातार छह फीसद के ऊपर बनी रही। पिछले एक दशक में विकास की उच्चतम दर 2006-07 में 9.6 फीसद रही थी। दस साल में यह पहला मौका है जब आर्थिक विकास की दर के पांच फीसद को छूने के आसार बने हैं। अगले वित्त वर्ष 2013-14 के बजट से दो हफ्ते पहले जारी हुए इन आंकड़ों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
चालू वित्त वर्ष में पांच फीसद की विकास दर के अनुमान का अर्थ है कि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेजी से घटी है। दूसरी तिमाही [जुलाई-सितंबर] में जीडीपी की दर 5.4 फीसद रही थी। उसके बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि वित्त वर्ष के उत्तरार्ध में हालात सुधरेंगे और विकास दर छह फीसद के नजदीक पहुंचने में सफल रहेगी।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक खराब मानसून ने कृषि क्षेत्र की विकास दर को बुरी तरह प्रभावित किया है। पैदावार घटने की वजह से कृषि विकास दर के 1.8 फीसद पर सिमट जाने के आसार हैं। महंगे कर्ज और घटी मांग की वजह से अक्टूबर के त्योहारी महीने को छोड़ वित्त वर्ष में अभी तक मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार भी बेहद धीमी रही है। अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा सेवा क्षेत्र ने चौंकाया है। बुरे वक्त में भी यह अब तक दहाई अंक में वृद्धि करता आया है। मगर ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस क्षेत्र की विकास दर 8.6 फीसद पर ही सिमट सकती है। पिछले वित्त वर्ष में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 11.7 फीसद रही थी।
धीमा विकास
क्षेत्र 2011-12 2012-13
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कृषि........ 3.6 1.8
खनन...... -0.6 0.4
मैन्यूफैक्चरिंग.. 2.7 1.9
बिजली, गैस
जल आपूर्ति....6.5 4.9
कंस्ट्रक्शन....... 5.6 5.9
व्यापार, होटल
परिवहन, संचार.... 7.0 5.2
वित्तीय सेवाएं...... 11.7 8.6
सामाजिक सेवाएं..... 6.0 6.8
कुल जीडीपी....... 6.2 5.0