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डॉलर की कीमत 58 रुपये के पार

रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के हस्तक्षेप की बाट जोहता रुपया रसातल में जा पहुंचा है। सभी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत होते डॉलर ने रुपये को भी अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। एक डॉलर की कीमत ने सोमवार को 58 रुपये के स्तर को भी तोड़ दिया।

By Edited By: Published: Mon, 10 Jun 2013 12:43 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
डॉलर की कीमत 58 रुपये के पार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप की बाट जोहता रुपया रसातल में जा पहुंचा है। सभी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत होते डॉलर ने रुपये को भी अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। एक डॉलर की कीमत ने सोमवार को 58 रुपये के स्तर को भी तोड़ दिया। मुद्रा बाजार में एक डॉलर की कीमत 60 रुपये तक जाने का आशंका जताई जा रही है।

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रुपये की कीमत में हो रही इस गिरावट ने सरकार के चालू खाते के घाटे पर एक बार फिर दबाव बना दिया है। सोने के आयात में सरकार चाह कर भी कमी नहीं कर पा रही है। दूसरी ओर सस्ता रुपया कच्चे तेल का आयात बिल बढ़ाएगा। साथ ही यह पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों पर भी असर डालेगा।

एक डॉलर की कीमत सोमवार को 57.17 रुपये पर खुली। आरबीआइ की मदद नहीं मिलने के बाद रुपये में गिरावट का सिलसिला दिन भर बना रहा। यह 58 रुपये को पार कर गया। अंत में एक डॉलर की कीमत 110 पैसे की भारी गिरावट के बाद 58.16 रुपये पर थमी।

पिछले डेढ़ महीने में रुपये में करीब आठ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। रुपये में गिरावट की एक वजह शेयर और कर्ज बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) की निकासी भी रही है। इसी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय में सोमवार को बाजार नियामकों के साथ बैठक में विदेशी वेल्थ फंडों के लिए निवेश के नियम आसान बनाने पर सहमति बनी। इस बारे में जल्द ही दिशानिर्देशों की घोषणा होगी। अलबत्ता वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की गिरावट के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती को वजह बताया।

इंडिया फॉरेक्स एडवाइजर्स के सीईओ अभिषेक गोयनका के मुताबिक अब समय आ गया है जब रिजर्व बैंक को आगे बढ़ कर पहल करनी होगी। पिछले साल के समान केंद्रीय बैंक को सभी बैंकों की ओवरनाइट लांग पोजीशन को सीमित कर देना चाहिए। इससे बाजार बंद होने के बाद मुद्रा बाजार में होने वाले सौदों की वजह से रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव रोकने में मदद मिलेगी।

रुपये की कीमत में तेज गिरावट का असर शेयर बाजार पर भी दिख रहा है। सेंसेक्स व निफ्टी में दिन भर उतार-चढ़ाव बना रहा। अलबत्ता सस्ते रुपये ने आइटी कंपनियों के शेयरों की कीमतों को बढ़ा दिया है। लेकिन एफआइआइ की बिकवाली मोटे तौर पर शेयर बाजार को नीचे की तरफ ले जा रही है। यही वजह है कि वित्त मंत्रालय विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए तमाम उपाय करने में जुटा है। बीते दिनों वित्त मंत्री पी चिदंबरम की दुबई यात्रा को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है। बीते तीन हफ्ते में एफआइआइ भारतीय कर्ज बाजार से तीन अरब डॉलर की निकासी कर चुके हैं।

रुपये में हो रही इस तेज गिरावट ने निर्यातकों के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष रफीक अहमद का मानना है कि अल्प अवधि में भले ही रुपये का उतार-चढ़ाव फायदेमंद हो, लेकिन लंबी अवधि के नजरिये से देखें तो यह निर्यातकों को नुकसान पहुंचाएगा।

फिर भी टूटा रुपया

-बाजार में डॉलरों की बेहतर आपूर्ति के बाद भी रुपया टूटा

-कमजोर रुपये के कारण निवेशकों ने बांडों में बिकवाली

-शेयरों में विदेशी निवेश बढ़ाने के ताजा उपायों का रुपये पर असर नहीं

-सोने का आयात महंगा करने के कदम भी भरोसा बनाने में नाकाम

-विदेशी मुद्रा भंडार की पतली हालत के कारण घबराहट

-यह भंडार केवल सात माह के आयात के लिए ही पर्याप्त

सरकार की उम्मीद

-विदहोल्डिंग टैक्स में कमी से अगले मार्च तक पांच अरब डॉलर का विदेशी निवेश आएगा

-शेयरों में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ने का सहारा, कुछ और प्रोत्साहन संभव

-सोने का आयात कम होने से राहत मिलेगी

-इस माह के अंत तक आने वाले चालू खाता आंकड़ो पर दारोमदार, घाटा कम होने के संकेत हुए तो मिलेगी ताकत

कितना गिरेगा रुपया?

-बैंक ऑफ अमेरिका-मेरिल लिंच के विशेषज्ञ मानते हैं कि रिजर्व बैंक हस्तक्षेप के जरिये डॉलर को 52 से 56 रुपये के आसपास रोकने की कोशिश करेगा

-यूबीएस सहित कुछ अन्य निवेशक मानते हैं डॉलर 60 रुपये तक जा सकता है।


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