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Indian Railways ने तीन सालों में टिकट कैंसिलेशन चार्जेज और wait-listed tickets के नॉन कैंसिलेशन से कमाए 9,000 करोड़ रुपये

तीन सालों की समयावधि में करीब 145 करोड़ से अधिक यात्रियों ने इंटरनेट के जरिए टिकट्स खरीदे जबकि 74 करोड़ से अधिक लोगों ने काउंटर्स से टिकट्स खरीदे।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 03:18 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 08:51 AM (IST)
Indian Railways ने तीन सालों में टिकट कैंसिलेशन चार्जेज और wait-listed tickets के नॉन कैंसिलेशन से कमाए 9,000 करोड़ रुपये
Indian Railways ने तीन सालों में टिकट कैंसिलेशन चार्जेज और wait-listed tickets के नॉन कैंसिलेशन से कमाए 9,000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रेलवे ने साल 2017 से 2020 के बीच टिकट कैंसिलेशन चार्जेज और वेट-लिस्टेड टिकट्स के नॉन-कैंसिलेशन से 9,000 करो़ड़ से अधिक की कमाई की है। भारतीय रेलवे ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है। कोटा बेस्ड आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी द्वारा दायर की गई एक आरटीआई के जवाब में सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) ने कहा कि एक जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2020 की तीन साल के समयावधि में साढ़े 9 करोड़ से अधिक यात्रियों के वेट-लिस्टेड टिकट्स कैंसल नहीं हुए थे। इन यात्रियों के कारण भारतीय रेलवे के राजस्व में 4,335 करोड़ का इजाफा हुआ है। वहीं, एक जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2020 के बीच रेलवे ने कंफर्म्ड टिकट्स की कैंसिलेशन फीस से 4,684 करोड़ रुपये कमाए हैं।

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इन दोनों ही मामलों में अधिकांश आय स्लीपर क्लास के टिकट्स से हुई है। इसके बाद थर्ड एसी के टिकट्स से सबसे ज्यादा आय हुई। वहीं, इंटरनेट और काउंटर्स से टिकट खरीदने वाले लोगों की संख्या में भी बड़ा भारी अंतर है। इन तीन सालों की समयावधि में करीब 145 करोड़ से अधिक यात्रियों ने इंटरनेट के जरिए टिकट्स खरीदे, जबकि 74 करोड़ से अधिक लोगों ने काउंटर्स से टिकट्स खरीदे।

आरटीआई एक्टिविस्ट स्वामी ने राजस्थान हाई कोर्ट में plea भी दाखिल की है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि भारतीय रेलवे में रिजर्वेशन पॉलिसी भेदभावपूर्ण है। उन्होंने इसमें रिजर्वेशन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पॉलिसी में अंतर की बात कही है, जो कि यात्रियों पर अनावश्यक वित्तीय और मानसिक बोझ डालती है।


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