मोबाइल निर्माण की चैंपियन कंपनियों को लुभाने पर जोर, पांच कंपनियां बनाती हैं विश्व के 74 फीसद मोबाइल फोन
वर्तमान में मोबाइल निर्यात के वैश्विक बाजार में 80 फीसद से अधिक हिस्सेदारी चीन वियतनाम एवं दुनिया की पांच दिग्गज कंपनियों की हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वर्ष 2025 तक भारत का मोबाइल फोन निर्यात कारोबार 100 अरब डॉलर का हो सकता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए गुरुवार को इंडियन सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीइए) और Ernst & Young (E&Y) की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक्स व आइटी मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में मोबाइल निर्यात के वैश्विक बाजार में 80 फीसद से अधिक हिस्सेदारी चीन, वियतनाम एवं दुनिया की पांच दिग्गज कंपनियों की हैं। इन कंपनियों में एप्पल, सैमसंग, हुआवे, ओप्पो एवं वीवो शामिल हैं। वर्ष 2019 में चीन का मोबाइल फोन निर्यात 224 अरब डॉलर का रहा जबकि वियतनाम का 63 अरब डॉलर का। भारत का मोबाइल फोन निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 में 3 अरब डॉलर का था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 198 देश मोबाइल फोन का आयात करते हैं और सिर्फ दो देश चीन और वियतनाम मुख्य रूप से मोबाइल फोन के सप्लायर्स हैं। ऐसे में भारत के लिए मोबाइल फोन बाजार में प्रचुर मौका है जिसे हाल ही में सरकार की तरफ से घोषित प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) की मदद से भुनाया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, यूरोप, एशिया व मध्य पूर्व के विकसित देशों के मोबाइल फोन बाजार को भारत ने छुआ तक नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास पर्याप्त संख्या में कुशल श्रमिक है। मोबाइल फोन बनाने वाली वैश्विक कंपनियों की मौजूदगी है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का वितरण नेटवर्क हैं। इसके अलावा अभी चीन के खिलाफ वैश्विक स्तर पर माहौल तैयार होने का फायदा भी भारत को मिल सकता है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार का फायदा भारत लेने में सफल नहीं रहा और इस मामले में वियतनाम ने बाजी मार ली।
आइसीइए के मुताबिक मोबाइल फोन निर्माण के लिए सरकार की तरफ से शुरू की पीएसआइ स्कीम का असर चालू वित्त वर्ष के अंत तक दिखने लगेगा। पीएलआइ स्कीम का लाभ देने के लिए पांच अंतरराष्ट्रीय चैंपियन कंपनियों का चयन किया जाएगा। पांच घरेलू कंपनियों को मोबाइल फोन निर्माण का चैंपियन बनाने का लक्ष्य रखा गया है।