सरकार आर्थिक पैकेज पर कर रही काम, उद्योग जगत की जल्द घोषणा की मांग
उद्योग जगत की सबसे बड़ी मांग यह है कि जो सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं उनसे जुड़ी कंपनियों के कर्मचारियों के तीन माह के वेतन-भत्ते की अदायगी के लिए सरकार आर्थिक मदद दे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि Coronavirus और इससे निपटने के लिए चल रहे Lockdown से देश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक प्रभावित हुई है। घरेलू उद्योग जगत अर्थव्यवस्था के पहिए को तेजी देने और लक्ष्य बढ़ाने को तैयार है लेकिन उसका मानना है कि केंद्र सरकार से बड़ी मदद व सहयोग के बिना यह संभव नहीं हो पाएगा। इंडस्ट्री को मदद भी तत्काल चाहिए। फिक्की (FICCI), सीआइआइ (CII) जैसे देश के उद्योग संगठनों का कहना है कि आर्थिक मदद में जितना अधिक विलंब होगा, बंद पड़े कल-कारखानों को फिर से शुरू करने की रणनीति तैयार करने में उतनी ही अधिक देरी होगी। इंडस्ट्री विशेष रूप से मार्च से मई, 2020 के दौरान अपने कर्मियों को वेतन देने में सहायता चाह रही है। कई देशों ने अपने उद्योगों को इस प्रकार की मदद दी है। उद्योग जगत भावी पैकेज को लेकर असमंजस पर चिंतित है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश के छोटे व मझोले उद्यमों के लिए राहत पैकेज से जुड़ा प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजा गया है। दूसरी ओर, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने भी आर्थिक पैकेज का खाका तैयार किया है। FICCI के महासचिव दिलीप चिनॉय के अनुसार, ‘प्रश्न सिर्फ इतना नहीं है कि हम लॉकडाउन से रोजाना 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठा रहे हैं बल्कि चार करोड़ लोगों की नौकरी को लेकर भी खतरा है। ऐसे में स्थिति जितनी जल्दी स्पष्ट हो उतना बेहतर होगा।’
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने इस बाबत कहा, ‘किसी भी तरह की घोषणा या पैकेज के एलान के बाद उसके क्रियान्वयन या संबंधित पक्ष तक उसका फायदा पहुंचने में समय लगता है। अब जबकि हम तीन मई के बाद काम शुरू करने की बात कर रहे हैं, तो आर्थिक पैकेज को लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।’
उद्योग जगत की सबसे बड़ी मांग यह है कि लॉकडाउन की वजह से जो सेक्टर्स बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, उनसे जुड़ी कंपनियों के कर्मचारियों के तीन माह के वेतन-भत्ते की अदायगी के लिए सरकार आर्थिक सहायता दे। CII के चंद्रजीत बनर्जी का परामर्श है कि सरकार को कम से कम छोटे और मझोले उद्योगों के लिए आर्थिक मदद देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों ने ऐसा किया है। नियमों के अनुसार, इन उद्योगों को कोई बिजनेस नहीं करने के बावजूद वेतन-भत्ते का भुगतान करना पड़ रहा है। कारोबार की अनिश्चितता को देखते यह बोझ बहुत बड़ा है।’