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अगले वित्त वर्ष के आखिर तक कोरोना महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी अर्थव्यवस्था: नीति आयोग

अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष के आखिर तक कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को यह बात कही है। कुमार ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में GDP में आठ फीसद से कम गिरावट रहने का अनुमान है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 04:02 PM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 07:44 AM (IST)
अगले वित्त वर्ष के आखिर तक कोरोना महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी अर्थव्यवस्था: नीति आयोग
अर्थव्यवस्था के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Flickr

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत की अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष के आखिर तक कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को यह बात कही है। कुमार ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में GDP में आठ फीसद से कम गिरावट रहने का अनुमान है। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को 9.5 फीसद से घटाकर 7.5 फीसद किया है।

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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से अगले वित्त वर्ष (2021-22) के आखिर तक कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी में आठ फीसद से कम की गिरावट रहने का अनुमान है। गौरतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने मौजूदा वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रिकवरी दर्ज की है। विनिर्माण गतिविधियां बढ़ने का इसमें अहम योगदान रहा है।

मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट घटकर 7.5 फीसद रही। इसी तरह आगे भी अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर रिकवरी का अनुमान लगाया जा रहा है। कुमार ने  संपत्ति के मौद्रिकरण पर न्यूज एजेंसी पीटीआइ को बताया, ‘‘यह कार्य मौजूदा समय में जारी है और इसपर उच्चस्तर से ध्यान दिया जा रहा है। हम इस काम को जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि संपत्ति के मौद्रिकरण लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।’’

मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार का विनिवेश के माध्यम से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री से और 90,000 करोड़ रुपये वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से जुटाए जाने की योजना है।

कुमार ने कहा, ''बैंकिंग क्षेत्र का और अधिक विस्तार किए जाने की आवश्यकता है और साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि देश का निजी ऋण से GDP अनुपात काफी कम है।''


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