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वित्त वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में संकुचन की आशंका, 40 साल में पहली बार अर्थव्यवस्था की हालत हो सकती है खराब

मौजूदा चौथे चरण में राज्यों को प्रकोप के आधार पर रेड ऑरेंज और ग्रीन जोन में खुद के हिसाब से फैसले लेने की छूट है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 07:03 AM (IST)
वित्त वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में संकुचन की आशंका, 40 साल में पहली बार अर्थव्यवस्था की हालत हो सकती है खराब
वित्त वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में संकुचन की आशंका, 40 साल में पहली बार अर्थव्यवस्था की हालत हो सकती है खराब

नई दिल्ली, पीटीआइ। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चार दशक में पहली बार संकुचन की ओर जा सकती है। इसमें कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से कम खपत और सुस्त व्यावसायिक गतिविधि के चलते आर्थिक क्षति हुई है। कोरोनावायरस के प्रकोप से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई थी और यह छह वर्षों में अपनी सबसे धीमी गति से बढ़ रही थी, इसको उबारने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा भी की गई थी।

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मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने एक रिसर्च नोट में कहा हम उम्मीद करते हैं कि मार्च 2021 (वित्तीय वर्ष 2020-21) में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी संकुचन के दौर में रहेगी। हालांकि, वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है।

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उसने कहा कि भारत में कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए लगातार लॉकडाउन बढ़ाने से आर्थिक क्षति हो रही है, इसे अब 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसे तीन बार बढ़ाया गया है, जिसका चौथा चरण 31 मई को समाप्त होगा।

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लॉकडाउन ने देश के असंगठित क्षेत्र के लिए एक चुनौती पेश की है, जो जीडीपी में आधे से अधिक का प्रभाव रखता है। लॉकडाउन के पहले चरण ने बड़े पैमाने पर कम आय वाले घरों और दैनिक मजदूरी कमाने वालों को प्रभावित किया है। हालांकि, बाद के चरणों में प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम किया गया है, और लोगों को थोड़ी बहुत छूट दी गई है, क्योंकि सरकार आर्थिक गतिविधियों को सामान्य करने का प्रयास कर रही है। मौजूदा चौथे चरण में राज्यों को प्रकोप के आधार पर रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में खुद के हिसाब से फैसले लेने की छूट है।


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