अब भी नोटबंदी से उबर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था: डीबीएस
नोटबंदी के बाद डिजिटल मोड में शिफ्टिंग के चलते शहरी मांग पर असर कम पड़ा था
नई दिल्ली (पीटीआई)। नोटबंदी के एक साल पूरे होने के बाद भी प्रमुख संकेतक बताते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था अब भी इससे उबर रही है। यह बात एक प्रमुख बैंक डीबीएस ने कही है। हालांकि नोटबंदी के बाद बैंकों के बाहर दिखाई देने वाली लोगों की लंबी-लंबी कतारें एक महीने बाद ही खत्म हो गई थीं। बैंक का कहना है कि इस कदम ने अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की गतिविधियों जैसे कि बैंक डिपॉजिट और डिजिटल ट्रांजेक्शन पर एक प्रभाव छोड़ दिया था।
नोटबंदी का आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाला प्रभाव व्यापक और लंबा था, लेकिन इसकी तीव्रता विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर अलग अलग थी। बैंक के प्रमुथ अर्थशास्त्री तैमूर बैग और अर्थशास्त्री राधिका राव ने यह बात इंडिया-डिसरप्टिव डिमोनेटाइजेशन नामक रिपोर्ट के जरिए कही है। नकदी पर निर्भर रहने वाले सेवा क्षेत्रों, जैसे कि ट्रांसपोर्टेशन, लॉजिस्टिक, रियल एस्टेट और रिटेल पर सूचीबद्ध संस्थाओं की तुलना में ज्यादा असर पड़ा था।
नकदी पर निर्भर प्रकृति को देखते हुए ग्रामीण मांग निराशाजनक थी। हालांकि डिजिटल मोड में शिफ्टिंग के चलते शहरी मांग पर असर दिखाई दिया था। नोटबंदी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी असंगठित क्षेत्र को हुई। बैग और राव ने कहा, “हमने देखा है कि नोटबंदी सरकार की ओर से लिए गए उन प्रयासों में से एक है जिसने भारतीयों को औपचारिक रूप से आर्थिक गतिविधियों की ओर ले जाने का काम किया है।”
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला बीते साल 8 नवंबर को लिया था। इस फैसले के बाद 9 नवंबर से ही 500 और 1000 रुपए के नोट अमान्य कर दिए गए थे जो उस वक्त बाजार में प्रचलित कुल करेंसी का 86 फीसद हिस्सा थे।