अर्थव्यवस्था के सामने यू, वी, डब्लू, जेड का पेंच, यू, डब्ल्यू और एल शेप में रिकवरी अर्थव्यवस्था के लिए शुभ नहीं
अब निगाह इस बात पर है कि कोरोना से पहले वाली हालत में आने में अर्थव्यवस्था कौन सी राह पकड़ेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना की वजह से दुनिया भर में जारी लॉकडाउन को अब धीरे-धीरे खोला जा रहा है। इसके साथ ही अब निगाह इस बात पर है कि कोरोना से पहले वाली हालत में आने में अर्थव्यवस्था कौन सी राह पकड़ेगी। वी शेप मुश्किल दिख रही है। लेकिन जेड शेप में बढ़ी तो भी अच्छी बात होगी। एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक वी और जेड शेप से रिकवरी अर्थव्यवस्था के लिए शुभ है। इस शेप से रिकवरी होने पर अर्थव्यवस्था जल्द ही कोरोना पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगी। लेकिन एल शेप से रिकवरी होने पर अर्थव्यवस्था को कोरोना पूर्व काल में पहुंचने में लंबा वक्त लग जाएगा।
एसबीआइ इकोरैप ने ब्रूकिंग रिसर्च के हवाले से कहा है कि जेड शेप में अर्थव्यवस्था महामारी के दौरान नीचे जाती है, लेकिन मांग में अचानक पूर्व महामारी काल से अधिक की उछाल आती है। यह एक अस्थायी बूम होता है। लेकिन इस शेप की अच्छी बात है कि महामारी के जोखिम खत्म होने के बाद स्थिति सामान्य हो जाती है।
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक सकारात्मक स्थिति वी शेप की रिकवरी में होती है। वी शेप में महामारी के दौरान उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाता है, लेकिन एक बार सामाजिक दूरी समाप्त होने पर बहुत तेजी से पहले वाले स्तर पर मांग व उत्पादन पहुंच जाते हैं। एक बार गति पकड़ लेने पर सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक यू शेप के तहत अर्थव्यवस्था पर महामारी का असर लंबे समय तक रहता है। सामाजिक दूरी की अनिवार्यता को समाप्त किए जाने के बाद भी रिकवरी काफी धीमी रहती है और जीडीपी का विकास अत्यंत धीमा रहता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर महामारी के बाद लॉकडाउन खुलता है और इसके परिणामस्वरूप कोरोना के मामले और बढ़ जाते हैं और इस कारण फिर से लॉकडाउन करना पड़ता है तो अर्थव्यवस्था डब्ल्यू शेप में आगे बढ़ती है। एसबीआइ इकोरैप के मुताबिक एल शेप की रिकवरी सबसे नकारात्मक श्रेणी की होगी। इस शेप के आने से जीडीपी पर महामारी का लंबा असर होगा। निवेश पर बुरा असर दिखेगा, वित्तीय नीति में स्थायी बदलाव करना पड़ेगा और उत्पादकता की रफ्तार काफी घट जाएगी। इससे जीडीपी महान मंदी के काल में फंस जाएगा।